जब तुम सुनसान पथ से
रात के अंधेरों में ग़ुज़रते हो
इन वीरानियों में से न जाने
कितनी परछाईयाँ उभरती हैं
बस तेरी रहगुज़र बनती हैं
चैन से वो रहने नहीं देती हैं
मेरे दिल को घायल करती हैं
@मीना गुलियानी
रात के अंधेरों में ग़ुज़रते हो
इन वीरानियों में से न जाने
कितनी परछाईयाँ उभरती हैं
बस तेरी रहगुज़र बनती हैं
चैन से वो रहने नहीं देती हैं
मेरे दिल को घायल करती हैं
@मीना गुलियानी
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