आजकल पूरा विश्व करोना संकट से जूझ रहा है। पहले से कहीं ज्यादा स्थिति विकट होती जा रही है। भारत में तो इसे नियंत्रण में करने के लिए लाक डाउन भी कभी कभी सप्ताह भर कभी 21 दिन फिर बढ़ाते जाते हैं। अब 31 मई तक का है। इससे मजदूरों पर भारी संकट है वो लोग दाना पानी का जुगाड़ करने में भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। कुछ दिहाड़ी के मजदूर तो पलायन कर गए। कितने ही मर गए। सरकार ने भी करोना से निपटने हेतु बहुत से राहत पैकेज भी घोषित किये हैं लेकिन पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
डाक्टर , नर्स , सफाईकर्मी सभी दिन रात मरीज़ों की सेवा में जुटे हुए हैं। न तो उन्हें दिन का पता है न रात का दिन रात मरीजों के लिए न्यौछावर कर दिया। उनकी फैमिली भी है उसे अपना समय नहीं दे पाते हैं। कुछ लोग तो सप्ताह भर से घर का मुँह तक नहीं देख पाए। पुलिस भी अपना पूरा सहयोग दे रही है। कुछ ज्यादा संवेदनशील इलाकों में भीड़ नहीं होने देती है। जहाँ कर्फ्यू लगा होता है वहाँ तो पूरा रास्ता ही रोक दिया जाता है जो कहना नहीं मानता तो डंडे बरसाए जाते हैं।
इन दिनों कुछ समाजसेवी संस्थाएँ भी मदद को जुडी हैं जिन्होंने मुफ्त में भोजन की व्यवस्था इन असहाय लोगों के लिए की है। गुरुद्वारों में लंगर दिया जा रहा है। देव दर्शन इन दिनों बंद है। यातायात भी पूरी तरह से ठीक होने में वक्त लगेगा। धीरे धीरे लॉक डाउन खुलने पर हवाई जहाज़ , रेल, बसें चलाई जायेंगी। कुल मिलाकर इसी निष्कर्ष पर हम पहुँचते हैं कि इसमें पूरी स्थिति सम्भलने में वक्त लगेगा। तब तक समाज में सभी एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी में रहे और मास्क भी जब जरूरी हो लगाए। हाथों को बार बार धोता रहे सेनिटाइज़र का प्रयोग करे। सफाई और खानपान सही हो। पानी भी गुनगुना पिए व् गरारे करे। ऐसा करने से भी काफी बचाव हो सकता है। घर में रहें सुरक्षित रहें। सरकार की तरफ से आरोग्य सेतु एप भी चलाई गई है जिससे कोई भी व्यक्ति खुद ही अपना परीक्षण कर सकता है। गंभीर हालत होने पर फोन करने से एम्बुलेंस से उसे अस्पताल पहुँचाया जाता है। धीरे धीरे कुछ ऑफिस खुलने लगे हैं कुछ दुकानें भी खुलने लगी हैं। पूरी हालत तो सुधरने के लिए वक्त लगेगा।
@मीना गुलियानी
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