समय की रेत फिसलती हुई
ये उम्र भी है ढलती सी हुई
कब तलक बोझ उठायेगी
इक दिन जुदा हो जायेगी
फिर अकेले ही चलना होगा
खुद ही जीना मरना होगा
@मीना गुलियानी
ये उम्र भी है ढलती सी हुई
कब तलक बोझ उठायेगी
इक दिन जुदा हो जायेगी
फिर अकेले ही चलना होगा
खुद ही जीना मरना होगा
@मीना गुलियानी
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