जबसे ये करोना महामारी ने सब देशों को अपनी चपेट में लिया
तो मन में एक डर सा बैठ गया। सुबह सुबह मेरी पड़ोसन मेरे
साथ पहले मंदिर जाया करती थी। अब तो कपाट ही बंद हैं।
इसलिए मंदिर जाना ही छूट गया है। मैं भी पहले योग करने के
लिए जाती थी अब तो लॉक डाउन जबसे लगा है सब कुछ छूट
गया है। वैसे तो मोदी जी ने ये फैसला देश हित में लिया कि
पूरे देश में लॉक डाउन लागू कर दिया जो पहले एक दिन, फिर
सप्ताह , फिर इक्कीस दिन, फिर पन्द्रह दिन और बढ़ा दिए।
यह फैसला इसलिए किया था कि लोग ज्यादा कहीं पर जमा न
हों लेकिन इन जमातियों ने आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए बहुत
बड़े समूह में एकत्रित हुए फिर पूरे देश में जहाँ भी वो गए इस
महामारी से सबको संक्रमित करते गए।
अब तो मेरी पड़ोसन सुबह जब मैं पानी भरने के लिए मोटर
चलाती हूँ तभी वो भी दूर से ही अपना गेट खोलती है और
राम राम कर लेती है। कभी कभी तो वो भी रह जाती है।
पहले सुबह थोड़ा गली में टहल भी लेते थे जो अब तो घर के अंदर
ही रहते हैं। वैसे मेरी पड़ोसन नीतू भाभी दिल की बहुत अच्छी हैं।
कुछ समय पहले ही तो उन्होंने अपना मकान बनवाया फिर छोटे
बेटे की शादी भी की। उनके यहाँ गीत गाने के लिए वो रोज़ बुला
लेती थी। हर प्रोग्राम में मुझे जरूर शामिल करती थी। अब तो
हम दोनों एक दूसरे के घर तो नहीं जा सकते। दूर से ही दुआ
सलाम होती है। मेरी वो नीतू भाभी ने एक दिन कहा - मुझे
तो लगता है कि कोई गलती सबसे हो गई जो भगवान ने भी
अपने दरवाजे बंद कर दिए। घरों में रहते हुए भी सबके मन
में एक अजीब सा डर बैठा है। सब अपनी सुरक्षा के लिए एक
सीमा में बंध गए हैं। सबने दूरियाँ बढ़ा रखी हैं जितने लोग
हैं उतने ही कमरों में सब अलग अलग रहते हैं। बस कभी
खाने के समय या टी.वी पर समाचार या महाभारत इत्यादि
देखने को सब बैठते हैं। घर में अब कोई भी बाहर से नहीं आता
यहाँ तक कि दूध वाला , अखबार वाला , धोबी और काम वाली
बाई। इन सबको इसलिए बंद किया कि कहीं कोई रोग न
फैला दे। अब तो दूर से ही फोन से या ज़ोर से बोलकर हाल
चाल जान लेते हैं। नीतू भाभी जी से ही खबर मिली कि
हमारे पड़ोस की गली में एक धोबी को यह रोग लग गया
है जो लोग उससे अपने कपड़े प्रैस कराते थे , अब डरते
हैं कि कहीं उन्हें भी ये रोग न लग जाए।
लॉक डाउन का बड़ा फायदा यह हुआ कि जिन घरों में
बड़े बुजुर्ग हैं उनके बच्चे काम में व्यस्त होने के कारण
उनसे मिल नहीं पाते थे। अब तो सभी घरों में दादा दादी
नाना नानी को बच्चों से मस्ती करने का भी बहुत समय
मिल रहा है। इससे उनका मनोरंजन भी हो जाता है।
विपदा की घड़ी में सबका साथ भी जरूरी होता है तब
आदमी अपना दुःख भूल जाता है। अब तो सभी मिलकर
घर के काम में सहयोग करते हैं। बच्चे भी तरह तरह के
पकवानों की फरमाईश करते हैं जो समय मिलने से पूरी
हो जाती है। सभी लोग अपना दायित्व समझते हुए
सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करते हुए सकारात्मक
सोच रखते हैं और रिश्ते निभाते हैं।
हम सभी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जल्दी ही इस
महामारी का अंत कर दे ताकि सब परिंदे जो इस समय
घर में कैदी हैं आज़ाद होकर खुली हवा में साँस ले सकें।
@मीना गुलियानी
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