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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

ओझल हो घन

ज़िन्दगी को पता नहीं विधाता ने
न जाने किस स्याही से लिखा है
उसमे न जाने कितने ग़म लिखे
कितनी खुशियाँ लिख दी होंगी
जब सही वक्त आता है तब ही
पता चलता है सुख दुःख  तो
बारी बारी से आते जाते रहते हैं
सुख दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो भरपूर कभी
घन में ओझल हो शशि तो
कभी शशि में ओझल हो घन
@मीना गुलियानी

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