शब्दों से मेरा रिश्ता काफ़ी पुराना है
कभी ये शब्द गीतों की माला हैं
कभी ये किसी को जख़्म देते हैं
कभी किसी दिल के घाव भरते हैं
शरीर से ज़्यादा इनको संवारें
लोग चेहरे भूल जाते हैं लेकिन
शब्दों को लोग याद रखते हैं
@मीना गुलियानी
कभी ये शब्द गीतों की माला हैं
कभी ये किसी को जख़्म देते हैं
कभी किसी दिल के घाव भरते हैं
शरीर से ज़्यादा इनको संवारें
लोग चेहरे भूल जाते हैं लेकिन
शब्दों को लोग याद रखते हैं
@मीना गुलियानी
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