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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

जैसे निखरे

गुलदस्ता परिवार का बँधा रहे
कभी भी ये न बिखरे
हर रंग के फूल हों खिले
उनकी सुगंध चहुँ ओर बिखरे
ओसकण हीरे जैसे निखरे
@मीना गुलियानी 

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