कितनी सुहानी है यह साँझ की बेला
किन्तु है सूनी सूनी सजन तुम बिन
मीठे मीठे कोयल के सुर
पड़ गए फीके सजन तुम बिन
साँसों की गति मंद पड़ गई
तीव्र न हुई सजन तुम बिन
पायल और वीणा झंकार
पड़ गई धीेमी सजन तुम बिन
मन मयूर हुआ बेचैन
आये न चैन सजन तुम बिन
तुम ही तो मेरे खिवैया हो
कैसे लगूँ पार सजन तुम बिन
तुमसे ही नाता जोड़ा है
पर टूटे दिल के तार सजन तुम बिन
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