दिए है दर्द कई इस बेदर्द ज़माने ने
झोली भरदी है अश्कों के खज़ानों ने
जज़्ब किए है हर दर्द मुहब्बत के सीने में दफन
क्यों कुरेदते हो कद्रदां बनकर वो सारे जख्म
जाने कब मिटेगा फासला अपना
टूटेगा चुप्पी का सिलसिला अपना
कसमसाती जिंदगी की कैद से
छूटेगा पंछी बावरा पूछो सैयाद से
न पूछो दास्ताँ इस जिंदगी की मेरे यारो
कुछ गुज़र गई कुछ गुजर जायेगी यारो
कठिन था उन लम्हों से गुज़र जाना
गुज़र गया हूँ हर खतरों से अब यारो
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