दीदार तो उनका क्या होगा
कूचे में भी जाना मुश्किल है
कुछ जाल रकीबों के ऐसे
अब जान बचाना मुश्किल है
वो सामने आ भी जाएँ पर
नजरें भी मिलाना मुश्किल है
गर पूछ ही लें वो हाल मेरा
जख्मों को दिखाना मुश्किल है
माना कि तरब की महफ़िल है
पर साज़ उठाना मुश्किल है
बढ़ते हुए काले सायों में
अब शमा जलाना मुश्किल है
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