दो क्षण को मुस्का जाना
जीवन की घोर निराशा में
उज्ज्वल प्रकाश बन छाना
चिर बुझे आस के दीपक
प्रिय आकर कभी जलाना
निज चपल उंगलियो से छू
मानस के तार बजाना
यह प्रणय साधना मेरी
दो पल तो सफल बनाना
एक बार भूलकर के ही
स्वप्नों में मेरे तुम आना
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