आज फिर तुम सामने हो
देखती ललचाये लोचन
आज प्राणों में तुम्हारे
भर रहा मै विकल कम्पन
सलज चितवन में छिपाए
प्यार की मादक कहानी
आज कवि की कल्पना की
बन रही तुम रूपरानी
तुम मिली जीवन डगर पर
पूरी हुई है अर्चनाएं
आओ आँखों में बसा लें
रूप की मृदु चाँदनी
देखती ललचाये लोचन
आज प्राणों में तुम्हारे
भर रहा मै विकल कम्पन
सलज चितवन में छिपाए
प्यार की मादक कहानी
आज कवि की कल्पना की
बन रही तुम रूपरानी
तुम मिली जीवन डगर पर
पूरी हुई है अर्चनाएं
आओ आँखों में बसा लें
रूप की मृदु चाँदनी
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