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गुरुवार, 28 जनवरी 2016

आराध्य देव

जब भी मेरा दिल उदास होता है 
लगता है तू मेरे आस पास होता है 

कोई वादा नहीँ किया तुमने 
फिर भी क्यों इंतज़ार रहता है 
बेवजह ही करार मिलने पर 
दिल बड़ा बेकरार रहता है 

तुम किसी के ख्वाबों की 
इक तस्वीर लगते हो 
करूँ कैसे बयाँ तब्बसुम को 
कितने तुम हसीन लगते हो 

तुम तो जन्नत का  करिश्मा हो 
तेरे जलवों से ही बहार आये 
देखे जो सुन्दर रूप तुम्हारा 
कामदेव भी शर्मा जाए 

तुम ही मेरी कल्पना हो 
तुम ही सर्वस्व हो मेरे 
कैसे भुला दूँ मै तुम्हें 
तुम्हीं आराध्य देव हो मेरे 

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