मेरे दिल ने फिर अमन की दुआ की है
न हो तू कभी खफा ये सदा दी है
तू रहे सदा सलामत हर ख़ुशी तुझे मिले
हम रहें या न रहें तू बहारों में पले
हर बूटे पत्ते पे तेरा नाम लिखा रहे
हरसू गुलज़ार में तू ही समाया रहे
यूँ ही सपनों का जहाँ मेरा बसा रहे
खुदा से मैने इतनी इल्तज़ा की है
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