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रविवार, 10 जनवरी 2016

मूक पुकार न की



नीरव निशीथ में चन्द्र किरण 
ज्योत्स्ना हास से धवलित हो   

                 सच कहना तब उर सपनों में 
                 मिलने की मृदु मनुहार न थी 

क्या कभी तुम्हारे प्राणों ने 
प्रियतम की मूक पुकार न की 

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