आज तेरी महफ़िल से उठे तो दिल की शमा बुझने लगी
सीने की धड़कन सांसों की लय आज फिर रुकने लगी
पहले तो तुम हाथ मेरा थाम लेते थे सबके सामने
आज न जाने हुआ क्या वो नज़र झुकने लगी
तेरी महफ़िल से यूँ उठकर लौट जाना न गंवारा है हमें
दिल ने शैदा कर दिया तुम्हारी बेरुखी डसने लगी
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