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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

तेरी बेरुखी




  आज तेरी महफ़िल से उठे तो दिल की शमा बुझने लगी
  सीने की धड़कन सांसों की लय आज फिर रुकने लगी

                 पहले तो तुम हाथ मेरा थाम लेते थे सबके सामने
                 आज न जाने हुआ क्या वो नज़र झुकने लगी

  तेरी महफ़िल से यूँ उठकर लौट जाना न गंवारा है हमें
  दिल ने शैदा कर दिया तुम्हारी बेरुखी डसने लगी 

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