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रविवार, 31 मई 2015

माता की भेंट - 40

जब देखा निगाह पसार , बीच संसार , एक ही द्वारा ,
मैया बिन कौन हमारा 

मतलब का हर इक नाता है , मतलब बिन कोई नही चाहता है 
मतलब का ये संसार देखा सारा 

जब अस्सू के दिन आते है , दर्शन को प्रेमी जाते है 
सब संगत रलमिल बोले जय जयकारा 

वहाँ जगमग ज्योति जग रही है , चरणो में गंगा वग रही है 
नहाने को निर्मल जल का चले फुआरा 

वो सुंदर गुफा तुम्हारी है , मोहे आस दर्श की भारी है 
जी चाहता कब देखूँगा अान नज़ारा 

माता की भेंट - 39


सुआ चोला ते दुपट्टा नाबी रंग दा 
मत्थे उते चंद चमके शेरा वालिये 

तेरा किसने भवन बनाया , नी  कोण  तेरा झंवर झोले शेरा वालिये 

पंजा पांडवा ने भवन बनाया , अर्जुन झंवर झोले शेरा वालिये 

तेरे दर्शन दी अभिलाषा ,  माँ भगता नू दे दर्शन शेरा वालिये 

तेरा आद क्वारी  डेरा , कि कटरयो पया दिसदा शेरा वालिये 

पान सुपारी ते ध्वजा नरेला , भेंट पहली भेंट चढ़े शेरा वालिये 

ओखी घाटी ते बिखड़ा पेन्डा ,  नी पैरा विच रोड़े चुबदे शेरा वालिये 

चिटे चावल ते दुध माजा , नी क्न्ज्का नू भोग लगे शेरा वालिये 

शेरा वालिये पहाड़ा वालिये , कि जगमग जोत जगदी शेरा वालिये 

माता की भेंट - 38

आया दर तेरे उते चल नी  माँ ,  मेरी करदे मुश्किल हल नी माँ 

सुहे शेर दे उते सवारी तेरी,  महिमा गावदे ने नर नारी तेरी 
जाये सुक न उम्मीदा दी वल नी माँ 

तू ते शक्ति आदिभवानी है , तू ते जगदम्बे महारानी है 
लिया तेरा द्वारा मै मल नी माँ 

तेरे भवन दी शान निराली है , तेथो मुडया न कोई सवाली है 
डुले अखियाँ चो पया जल नी माँ 

किसे सोने दा छत्र चढ़ाया है , कोई हन्जुआ दी भेंट ल्याया है 
निश्चा तेरे ते रख के अटल नी माँ 

माता की भेंट - 37

ओ मैया के चरणो तले ,  प्रेम की गंगा चले
रलमिल सारे , बोलो जयकारे , दुखड़े पल में टले


माँ शक्ति की महिमा भारी , दुर्जन हाथ मले ओ मैया के चरणो तले ,  प्रेम की गंगा चले

भवन मैया का सबसे न्यारा ,  ज्ञान की जोत जले ओ मैया के चरणो तले ,  प्रेम की गंगा चले

जो भी उसका नाम ध्याता ,  विपदा उसकी टले ओ मैया के चरणो तले ,  प्रेम की गंगा चले 

माता की भेंट - 36

अम्बे का सहारा मैने पा ही लिया 
मुझे माँ ने चरणो से लगा ही लिया 

हुआ क्या कसूर ऐसा मैया हमारा , भक्तो का देश तूने दिल से विसारा 
देश का क्यों साथ छोड़ा, भक्तो से मुखड़ा मोड़ा 
दिल में बसाया हमने तुमरा द्वारा 
दुर्गे को दिल में बसा ही लिया ----------------------------------------------

तेरे साथ माता मैने प्रीत लगाई , दिल के अँधेरे में जोत जगाई 
माता संग प्यार करके , चरणो का ध्यान धर के 
आन बचाओ मैया दास ये पुकारे 
दिन रात तेरा गीत गा ही लिया -------------------------------------------

माता की भेंट - 35



इक परदेसी मैया सानू कह गया, निश्चा वाला दाती तो मुरादा ले गया 
जेह्ड़ा जाप निश्चा नाल करण बै गया,  ओहदा बेडा सागर तो पार बह गया 

मैया दे भवन दी ऐ ही निशानी जगमग जग रही जोत नूरानी 
राही केहन्दा नेड़े है भवन रह गया 

जग दी तू दाती नाम शेरा वाली ,  आये जो सवाली कदी  जाये न खाली 
मै वि दास आप दी शरण आ गया 

पापिया नू मारे भगता नू तारे ,  पल विच सेवका दी बिगड़ी संवारे 
ज्ञान कर जेहड़ा चरणा च आ गया 

माता की भेंट - 34


मैनु तेरा इक आसरा मै निरासरा आया तेरी शरणी 
बख़्शने वाली माँ बक्शो नादान दी करनी 

जिंदगी च हुए मेथो पाप बहुतेरे 
लख समझाया पर न मनी मन मेरे 
दुनिया तो घबरा गया याद आ गया 
इक तेरा द्वारा ढूढ़ थकी संसार न मिल्या कोई सहारा 

दुःखा दरदा वेले याद आंदिया  मावा 
मावा बिना केहडा सुने दिला दिया हावा 
माँ ते पुत्र दी प्रीत नू जग रीत नू 
हुन आके निभाओ जानके पुत अनजान मैया मैनु चरणी लगाओ 

तू ही दस माँ मै केहड़े दर जावा 
दुखा वाला हाल जाके किनू मै सुनावा 
तेरे बिना कोई होर न बन कठोर न 
सुन दास दी अर्जी मै ता शरणी आ गया मैनु ला ले चरणी 

माता की भेंट - 33

खड़ी माँ खड़ी संगत आन के बड़ी, तेरे दर ते खड़ी 
दर्शन दे दो मैया जी मेनू आस है बड़ी 

चढ़के चढ़ाइया आये दूरो तेरे दास माँ 
भरदे तू झोलिया माँ कर पूरी आस माँ 
शेरा वालिये -मेहरा वालिये -----------

लखा ते हज़ारा आये दर ते फकीर माँ 
खुशियाँ दी खैर पा दे खड़े दलगीर माँ 
शेरा वालिये - मेहरा वालिये -----------

उच्चे उच्चे पर्वता ते मेले लान वालिये 
दर्श दिखादे सानू सुए चोले वालिये 
शेरा वालिये - मेहरा वालिये ------------

दास तेरा माँ तेरे दर उते आया माँ 
धोदे मेरे पाप कर निर्मल काया माँ 
शेरा वालिये - मेंहरा  वालिये -------------

माता की भेंट - 32


तर्ज ---कलियों ने घूँघट खोले 



जो जय मैया की बोले वो भगत कभी न डोले 
मेरी जगदम्बिके मैया दास की पार कर नैया 

दर्शन को चाहू आना 
चरणो में मन लगाना 
आये जो द्वार दे दो दीदार जयकार भगत बोले 


औगुन न माँ चितारो 
सेवक समझ निहारो 
हूँ गुनहगार ,औगुन हज़ार ,दिल के है हाल खोले 


मैया जी पल में आई 
छिन  देर न लगाई 
भक्तो का प्यार,हो सिह सवार ,दुर्गा किवाड़ खोले 

माता की भेंट - 31


तर्ज ----गरीबो की सुनो 

मैया जी सुनो दर आया सवाली 
हो जाये कृपा मुझपे , माँ शेरा वाली 

बदकिस्मत था दर्शन तेरे करने को न  आया माँ 
पर दाती सुनले तू मेरी नाम न तेरा भुलाया माँ 
तेरे दर पे मैने भेंट चढ़ाई रो रो दास्ता दुःख की सुनाई 
जोतो वाली अजब है तेरी मैया जोत निराली 

तेरी महिमा गाते दाती तीन लोक में सारे ही 
तेरी रोशन ज्योति से जलते है चाँद सितारे भी 
ये दुनिया तूने खुद ही बनाई नज़र क्यों  फिर भी तू  आई 
तू ही तो इस जग की दाता है  सवाली 

माता की भेंट - 30



तर्ज -----चांदी  दीवार   न  तोड़ी 

इस दुनिया में नज़र सहारा , मुझको आया न दाती 
तूने भी मैया मेरी , क्यों यूं रुलाया है दाती 

दर तेरे पे आ पहुंचा मै दुनिया से माँ दुखियारा 
तेरे चरणो में माँ लेने आया हूँ मै सहारा 
डूबे किश्ती बीच भंवर में कोई नही है किनारा 
तूफानों ने आन के मुझको बहुत सताया है दाती 

भेंट चढ़ाई जोत जगाई महिमा तेरी गाता हूँ 
जो दुःख तेरे जग ने दिए आज मै सुनाता हूँ 
रोता रहा हूँ दुखो में दाती ,आज तुम्हे भी रुलाता हूँ 
दुनिया ने मुझको ठुकराया ,तूने क्यों भुलाया है दाती 

माता की भेंट - 29


तर्ज -------ये दो दीवाने दिल के 

माँ दर्शन  अभिलाषी , पर है मैया हम पापी 
पाएंगे  पाएंगे  पाएंगे दर्शन माँ 

मैया  प्यार देखो सबको बुलाये 
राजा या रंक सबको दर्श  दिखाए 
मैया है मेहरो वाली है नाम शेरों वाली 
पाएंगे  पाएंगे  पाएंगे दर्शन माँ 

श्रद्धा से जो भी दाती दर तेरे आएगा 
मनवांछित वो फल अम्बे से पायेगा 
सेवक दुखियारा , गमो से है हारा 
पाएंगे  पाएंगे  पाएंगे दर्शन माँ 

माता की भेंट - 28


तर्ज ----रहा गर्दिशों में हरदम 

दिन रात अम्बे दिल ने तेरी आरती है गाई 
रो रो के दिल ने मैया सब दास्ता सुनाई 

तेरी दुनिया ने तो दाती मुझको बड़ा सताया 
देखा न पल ख़ुशी का न चैन दिल को आई 

इक  बार गर तू दाती मेरी जिंदगी बना दे 
मेरे अंग संग में माँ, जब है तू ही समाई 

जो न मुझको दर्श देगी ,तो मेरी ये जान ले ले 
हूँ भंवर में मैया बैठी ,मेरी नैया डगमगाई 

तूने सवारी मैया , लाखो की बिगड़ी किस्मत 
मेरे लिए क्यों मैया , तूने देर है  लगाई 

माता की भेंट - 27



तर्ज --- किस तरह जीते है 

दर तेरे आये जो खाली नही जाता माई 
तेरे बिन मुझको कही चैन न आता माई 

न तो दे मुझको तू दौलत मेरी जगजननी 
बस तेरे दर्श बिना दिल ललचाये माई 

तेरे चरणो को मेरी आँखों के आंसू धोएं 
दिल मेरा दर पे तेरे अलख जगाता माई 

मेरी तू कलम में  दाती ज़रा शक्ति भर दे 
रात दिन महिमा तेरी दिल गाता माई 

तेरे दासों में मै भी तो माँ हूँ शामिल 
रो रो दुखड़ा मै  तुमको सुनाता माई 

माता की भेंट - 26


 तर्ज ---आजा रे  प्यार पुकारे 

माता जी भक्त पुकारे , आया है तेरे द्वारे 
कोई  नही है तेरे सिवा 

दर तेरे आया हूँ दाती 
मेरे भी गुनाहों को  दे माफ़ी 
सुनले पुकार, दे मुझको प्यार, जग सारा रुलाये माँ 

मैया न तू अब इंकार कर 
देके दर्शन बेड़ा तू पार कर 
तेरे सिवा दूजा न  मेरा , ग़मो का है घेरा माँ

 करले मेरी कबूल अरदास माँ 
दर्शन की मिटादे प्यास माँ 
सुन अर्ज माँ दास पुकारे ,शेरों वाली माँ 

माता की भेंट - 25

तर्ज ----पतझड़ सावन 


अस्सू कतक ते मगहर दी  बहार 
संगता नू रहन्दा मैया तेरा इंतज़ार 
हर पल तेरे दीदार दा तेरे प्यार दा 

प्यार तेरा मैया  तो अनोखा 
 ऐ सारी दुनिया ऐ धोखा ही धोखा 
नैया डगमग डगमग डोले 
 मेरा दिल जय माता दी बोले 
दाती आज सुनके पुकार 
अथरू  चढ़ावा तेनु हार -तेनु हार 

तेरे बिना न मेरा कोई सहाई 
आजा मेरी माई माई
 तू ही  पिता है  तू  ही मेरी माता 
तू ही मेरी भाग्यविधाता 
देर करी ना आ जावी माँ 
डुब्दै बेड़े नू करदे पार -करदे पार 

शनिवार, 30 मई 2015

24 माता की भेंट 24

मै करा प्रीता नाल -----दर्शन मैया दा 
वा वा दर्शन मैया दा ---सोणा  मैया दा 

गुफा मैया  सोहणी लगदी  पर्वत दे विचकार 
मैया शेरा वाली दा है सुंदर दरबार -दर्शन मैया दा 

आये भगत प्यारे मैया दे बोलन जय जयकारे 
जेह्ड़ा उसदा नाम ध्यावे पल विच उसनू तारे -दर्शन मैया दा 

मैया जी दे द्वारे सोणी जगदी ऐ जोत न्यारी
 माता जी दी शेर सवारी लगदी ऐ प्यारी प्यारी -दर्शन मैया दा 

माँ अम्बा जगदम्बा जी दा सुन्दर भवन रंगीला 
 प्रेम दे वाजे वजदे दर ते नाम दी हो रही लीला -दर्शन मैया दा 

दुर्गा शक्ति जी दे आगे हाल फोलिये दिल दे 
शेरा वाली दे दरबारों मंगे मनोरथ मिलदे -दर्शन मैया दा 

23 माता की भेंट 23

कर मैया नाल प्यार जीवन दो दिन दा 

ऐ वेला फिर हत्थ नही आना
 खाली हत्थ असां टुर जाना 
छोड़ जाना घर बार जीवन दो दिन दा 

बड़े बड़े राजा हँकारी 
होए जग विच है धनुधारी 
तोड़े मैया हंकार जीवन दो दिन दा 

शक्ति नाम है उस्दा बन्दे 
जोड़ी मिलावे सबदी बन्दे 
जग विच ले अवतार जीवन दो दिन दा 

भक्ता दी माँ शेरा वाली 
चंडी देवी दुर्गा काली 
दुष्टा नू देंदी मार जीवन दो दिन दा 

22 माता की भेंट 22

साडे नालों चंगे ने माँ पत्थर पहाड़ दे 
नित जेह्ड़े रहण मैया नेड़े दरबार दे 

रखया नसीबा मैनु तेरे कोलो दूर माँ 
सज़दा तू मेरा अज कर  मंज़ूर माँ 
भेंट मै लयावा माई अथरू प्यार दे 

चढ़के चढ़ाइया घबराई जान मेरी जी 
सांझी छत पहुंचे आई दिल नू दिलेरी जी 
आ पहुंचे हुन तेरे दरबार ते 

आज तेरे द्वारे उते चलके फकीर माँ 
तेरे बिना केहडा सुने हाल गरीब दा 
दास नू ध्यानू वाला आज तू दीदार दे 

मंगलवार, 26 मई 2015

21 माता की भेंट 21

गम न कर मुस्कुरा दिल दीवाने मैया सबदे दिल दियां जाने 
जय माँ जय माँ जय माँ बोल जय माँ जय माँ जय माँ  बोल 

तेरे द्वारे जो वि आ गया मंगिया मुरादा ओ पा गया 
खाली दर तो न कोई जावे माया सबदी आस पुजावे 

अकबर कटके नहर ल्याया तेरी जोता ते पाणी पाया 
जोत फिर वि रही तेरी जगदी आके फिर ओ पया तेरी शरणी 

मै गुनहगार मेरे  बक्श दो गुनाह अपने चरना च दे दो पनाह 
जो वि शरणी माँ तेरी आवे तेथो खाली मुड़के न जावे 

इक वार तू वि जयकारा बोल दे मन दी कुण्डी तू खोल दे 
फिर देख तू उसदा नज़ारा चढ़ जायेगा पर्वत सारा 


20 माता की भेंट 20



मुझे  आस तेरी मैया न निराश मुझे करना 
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना 

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ 
तेरी जोत जगे मन में हो दूर अँधेरा माँ 
मै आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना 

मेरी आस का बंधन कहीं  टूट न जाये 
क्या साँस का भरोसा पल आये कि न आये 
मेरे नैन प्यासे है मेरी प्यास बुझा देना 

सब देख लिया जग को माँ कोई नही अपना 
सब झूठे नाते है जग सारा इक सपना 
मै भटका राही हूँ तू नज़रे कर्म करना 

19 माता की भेंट 19

खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे
 रो रो अरजा गुज़ारे तेरा दास माँ 
न जुदाई सही जाये साल सी ने काहनू लाये 
आजा आजा मेरी माए तेरा दास हाँ 

तेरी मैनु याद सताए पलका रो रो पकिया 
तू जिन्हा राहा तो आवे मै विछावा अखियाँ 
दर्श दिखादे शेरा वालिये ,मैनु न भुलावी 
मै ता तेरे ही सहारे खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे

अरमाना ते हन्जुआ दी मै भेंटा लेके आया 
सधरा ते चावा ने मेरी है बुआ खड़काया 
आस पुजादे मेहरा वालिये ,दिल दी प्यास बुझावी 
मेरा दिल ऐहो पुकारे खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे

ऐहो मेरी आस है माए दर्श सदा ही पावा 
बनके तेरा लाल मै अम्बे तेरे ही गुण गावा 
विनती मेरी ऐहो गुफा वालिये मैनु वि दिखावी दाती 
ध्यानू वांग नज़ारे खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे

18 माता की भेंट 18

दिल करदा ओ मईया शेरा वाली मेरा दिल करदा 
दर तेरे ते आवा दिल दा  हाल सुनावा दिल करदा ओ ----------चरणा  दी धूड़ी चुमके मत्थे ते लगावा 

जिंदगी दे विच कीते पाप मै बहुतेरे माँ 
लख समझाया पर न मनी मन मेरे माँ 
सरे द्वारे छड्के मै आया द्वारे तेरे माँ 
ओ--मेनू न भुलावी में ता तेरे ही सहारे 

लाल लाल झंडे वेखे द्वारे माँ दे झुलदे 
रलमिल माई भाई जय माता दी बोलदे 
जेडे माँ दे द्वारे आन्दे कदी वि न डोलदे 
ओ--अजब निराला दिसदा भवन रंगीला माँ 

चन ते सूरज द्वारे चक्कर ने लावंदे 
झुक झुक तारे द्वारे झातिया ने पाँवदे 
ब्रम्हा विष्णु शिव द्वारे फुल बरसावदे 
ओ--अकबर राजे जये शीश नू झुकावदे 

17 माता की भेंट 17

मईया मईया भगत पुकारे आजा शेरा वाली माँ 
झोली अड़ तेरे दर ते खड़ा हाँ भर दे झोली खाली माँ 

तेरी जग तो शान निराली मात पहाड़ा वाली 
जो वि तेरे दर ते आये जाये कदी न खाली 
सब दिया झोलियां भर भर भेजे कोण गया दस खाली माँ 

छेँनया दी झंकार पई आवे भगत ने भेटा गादे 
जय माँ शक्ति शेरा वाली खूब ने पये बुलान्दे 
करदी आशा पूरिया सबदी ओ जग दी रखवाली माँ 

विषया विकारा दी ठानी ने जिंदड़ी मेरी घेरी 
ठोकरा खा खा डिग डिग  के मै शरण लई माँ तेरी 
सारे जग दी सुनन वालिये सुणले विनती मेरी माँ 

16 माता की भेंट 16

दर्शन दे माँ जगदम्बे शेरा वालिये 
शेरा वालिये माँ जोता  वालिये 

  तेरी हो रही जय जयकार माँ 
तेरे भगता दी अइयो पुकार माँ 
शरण दे माँ जगदम्बे शेरा वालिये 

तेरे कोलो ता कुछ नही दूर माँ 
तेरे  सब खज़ाने भरपूर माँ 
झोली भर माँ जगदम्बे शेरा वालिये 

जो कोई वि तेरे दर आवदा 
मुँहो मंगिया मुरादा पावदा 
दया कर माँ जगदम्बे शेरा वालिये  

15 माता की भेंट 15

तेरे चरणा दा  चरणामृत मंगके पीना नही , माँ मै मंगके पीना नही 
तू आप पिलावे ता पीना मंगके पीना नही  माँ मै मंगके पीना नही 

चाहे दाती तू धक्के मारे छड़ना नही दरवाजा 
;चाहे तू मेथो भीख मंगा ले हत्थ फड़ा के कासा 
आप देवे सो दुध बराबर मंग लया सो पाणी  मंगके पीना नही 

तू है शेरा वाली -------------------जय हो 
तू है हारा वाली ------------------जय हो 
तेरे खुले द्वारे --------------------जय हो 
तेरे भरे भंडारे ---------------------जय हो 
तेरे दर ते खड़े सवाली ------------------- मंगके पीना नही 

सुआ चोला तेरे अंग विराजे माथे मुकुट सुहावे 
गुफा च वसन वालिये तेथो जग मुरादा पावे 
बाणगंगा तेरे चरणी वगदी निर्मल जिसदा पाणी  मंगके पीना नही 


14 माता की भेंट 14

शेरा वाली माँ तेरा प्यार सानू चाहिदा , 
इको तेरा दातिये दीदार सानू चाहिदा 

नदियाँ ने गहरिया ते कण्डे बड़ी दूर ने 
पार लंघन वाले खड़े भगता दे पूर ने 
कण्डे लाण वाला पतवार सानू चाहिदा 

मुदद्ता विछोड़े विच लंघाईया नइयो जांदिया 
साला दीया आसा साथो लाइया नही जादिया 
घड़ी पल वाला इकरार सानू चाहिदा 

आज तक मनया माँ तेरी तस्वीर नू 
आनके  जगादे मेरी सुती तकदीर नू 
तेरा वि ते आणा इक वार सानू चाहिदा 

पूरी करो आस माँ करो न निराश माँ 
दास मैया जी तेरे दासा दा वि दास माँ 
चरणा दी धूड़ी वाला हार सानू चाहिदा 

सोमवार, 25 मई 2015

13 माता की भेंट ( 13 )

आ जा रे आ जा रे
 आ जा ओ मेरी मैया आ जा आके दर्श दिखा जा रे 

गम से भरी इस दुनिया में मेरा कोई नही हे सहारा 
इत उत डोले नैया मेरी मिलता नही है किनारा 
आ जा रे आ जा ओ  मेरी मैया आ जा तू ही पार लगा जा रे 

दर्शन की लेकर आस हे मैया कबसे खड़ा द्वारे 
अब तो दे दे दर्श तू अम्बे हम है भक्त तुम्हारे 
आ जा रे आ जा  ओ मेरी अम्बा आ जा आके दर्श दिखा जा रे 

लाखों पापी तूने तारे मेरी भी बिगड़ी बनाना 
तेरे चरणो की धूल  हूँ माँ मुझे न कभी भुलाना 
आ जा रे आ जा  ओ मेरी अम्बा आजा आके बिगड़ी बना जा रे 

12 माता की भेंट ( 12 )

रहमता करदी ऐ झोलियाँ भरदी ऐ
 पीरां दी पीर ऐ शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

जो आन डिगे दर तेरे ओ होंदे मालोमाल 
लूट लो लूट लो लोगो माँ होई ऐ दीनदयाल 
भरे भंडारे ने खुले द्वारे ने  पीरां दी पीर ऐ शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

दूरों संगता चलके आवन तेरे दर ते डेरे लावण 
कर दर्शन ध्वजा नरेला तेरी पहली भेंट चढ़ावन 
भक्ता दी प्यारी ऐ लगे प्यारी ऐ  पीरां दी पीर ऐ शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

जो कोई भी आये सवाली ओ मुड़या कदी न खाली 
माँ आशा पूर्ण करदी ओ आस पुजावन वाली 
महिमा भारी ऐ शेर सवारी ऐ  पीरां दी पीर ऐ शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

तेरा बाग़ देख मन डोले जित्थे मोर पपीहा बोले 
ठंडा जल ओ बाणगंगा  दा ओ मन दी कुण्डी खोले 
शेर सवारी ऐ लगे प्यारी ऐ  पीरां दी पीर ऐ शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

11 माता की भेंट ( 11 )



भुला माफ़ करी  माँ  भुला माफ़ करी  माँ 

मैया मै हाँ ओगणहार तैनू कहन्दे बख्शनहार 
,मै ता डोल रह्या मझधार मैनु तार देवी माँ भुला माफ़ करी  माँ 

मैया बग्या शेरां वाली ,तेरी जगदी जोत निराली 
तेरी जग तो शान निराली  मैनु तार देवी माँ भुला माफ़ करी  माँ 

मै न मंगदी चांदी सोना , मैनु दौलत दा नही रोना 
मै ता पापा नू ऐ धोना  मैनु तार देवी माँ भुला माफ़ करी  माँ 

10 माता की भेंट ( 10 )

तर्ज-----चेहरे पे ख़ुशी 

द्वारे से ख़ुशी मिल जाती है  जो दर्श मैया का पाता है 
उसकी किस्मत खुल जाती है जो गीत मैया के  गाता है 

वो जगदम्बा माँ शक्ति है 
जिसकी जोत में दया बरसती है 
सुंदर सिंह वाहिनी का जलवा 
हर इक का मन बहलाता है 

जो शीश झुकाते श्रद्धा से 
पाते है वो रुतबा मैया से 
अकबर जैसे को ज्ञान मिले 
ध्यानु जैसा तर जाता है 

सुख शांति हर फल देने को 
मैया का अजब दरबार खुला 
जो भी है सेवक मैया का 
जीवन को सफल बनाता है 

रविवार, 24 मई 2015

(09 माता की भेंट (09)

तर्ज;---नगरी नगरी द्वारे द्वारे 

लगियाँ मैनु तेरियाँ तांगा आजा शेरां वालिये 
शक्ति अपनी आन दिखा जा माता शक्ति वालिये 

हार दा पासा नज़र है आन्दा बाज़ी आ पलटा मेरी 
आजा होके रूप पवन दा न मैया तू कर देरी 
दुखड़े मेरे आन मिटा जा भगतां दी रखवालिये लगियाँ मैनु तेरियाँ तांगा 

हारे मेरे नैन विचारे तक तक तेरिया रावा माँ 
बैठी तेरी याद दे अंदर गिण गिण ओसियाँ पावा माँ 
गम नू मेरे दिलों मिटा जा सुए चोल्या वालिये लगियाँ मैनु तेरियाँ तांगा 

खुल जावणगे पड़दे जिस दम झोली राजा खोलेगा 
भोग तेरे दी करे निरादरी पैरा दे विच रोलेगा 
अपने नाम दी लज्जा रखले माता भोली भालिये लगियाँ मैनु तेरियाँ तांगा 

(08 माता की भेंट (08)

जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 
इक वार वन्दना अनेक बार वन्दना 

मेरी मैया दे गल विच हार वे 
मै ता आई मैया दे दरबार वे 
ऑथो मुक्ति दा  दान  ऐसा मंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

मेरी मैया दे द्वारे जो वि आवे 
मुँहो मंगिया मुरादा पावे 
ऐदे दर तो सब कुछ मंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

मेरी मैया जहाज बनाया 
अपनी शक्ति दे नाल चलाया 
आवो आवो जिन्हा ने पार लंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

(07 माता की भेंट (07)

तर्ज-----मै क्या करूँ 

मै आज तो जगदम्बे तेरे द्वारे आ गया 
मै  भवन ते आ गया 

सारा जग खोज्या न  कुछ मैनु पाया 
आखिर  हारके मै द्वारे तेरे आ गया 
कर बेडा मेरा पार तेरे द्वारे आ गया 

तू ही भक्ता दी लाज बचादी ऐ 
डूबदी नैया नू पार लगान्दी ऐ 
 दीना दी दातार तेरे द्वारे आ गया 

मै वि मैया तेरे चरना दी पुजारी हाँ 
दीन  दुखी ते निर्बल भिखारी हाँ 
सुन मेरी वी  पुकार तेरे द्वारे आ गया 

(06 माता की भेंट (06)



तर्ज ----मै तो इक ख्वाब हूँ

दुनिया एक ख्वाब है इससे कभी तू प्यार न कर 
भक्ति में शक्ति है इससे कभी इंकार न कर 

ये तेरी देही इक रोज़ चली जाएगी 
मानुष की जून फिर न तेरे हाथ आएगी 
भूलकर खुद को और अहंकार न कर 

ये जो परिवार तेरा मतलब के नाते है 
पैसे बिन मीत नही जो भी तुझे चाहते है 
माया छाया पर तू बन्दे ऐतबार न कर 

माता का सिमरन कर जीवन को बना ले तू 
भक्ति और शक्ति से मुक्ति आज  पा ले तू 
पापों और गुनाहों का और सिर पे  भार न कर 

(05 माता की भेंट (05)



तर्ज ---सायोनारा 

जयकारा जयकारा मैया का सहारा बोलो जयकारा 
चढ़के चढ़ाइया पहाड़ा ते मिलेगा द्वारा बोलो जयकारा 

वास करे माँ पहाड़ा  ते , रीझे भक्ता  दे प्यारा ते 
उस्दी जोत निराली ऐ दुखड़े हरे दुखियारा दे ------------------ जयकारा 

चढ़दा चढ़ाइया जा भगता , रती न तू घबरा भगता 
तार देवे भवसागर चौ , गीत मैया दे गए भगता ------------- जयकारा 

लखा पापी माँ तारे ,द्वार खड़े ने दुखियारे 
बिगड़ी तेरी बन जाएगी ,शीश झुका माँ दे द्वारे --------------- जयकारा



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(04 माता की भेंट (04)


तर्ज;----------सजन रे झूठ मत बोलो 

जयकारा बोल दे भगता , ऐ मैया दा  द्वारा ऐ 
गुफावा ते पहाड़ा ते बड़ा माँ दा नज़ारा ऐ 

भवन ते जो वि आ जावे , मुरादा मन दियां पावे 
ओ भर भर झोलियाँ जावे तू माँ सबदा सहारा है 

खेल मैया दे ने न्यारे , पये गादे  ने चन तारे  
मुरादा  पा रहे सारे ,ते मिल जाँदा किनारा है 

पहाड़ा वाली माँ अम्बे , माँ पेंडे मार् के  लम्बे 
दास आया है माँ अम्बे ,झुके संसार सारा है 


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(03- माता की भेंट (03)

तर्ज;------बार बार तोहे क्या समझाऊ 

जय जगदम्बे मात भवानी दया रूप साकार ,
 सुनो मेरी विनती,  आया हूँ तेरे द्वार 

आज फंसी मंझधार बीच मेरी नैया 
तुम बिन मेरा कोई नही है खिवैया 
नैया मेरी जगदम्बे माँ करदे भव से पार 

महिषासुर के मान मिटा देने वाली 
रावण जैसे दुष्ट खपा देने वाली
 पाप मिटा देती चामुण्डा ले कर में तलवार 

तेरे नाम की महिमा बहुत निराली है 
अपने भक्तो की करती रखवाली है 
 अपने भक्तो की खातिर तूने रूप लिए बहु  धार 

जगमग करती जोत तुम्हारी है माता 
विद्या और बुद्धि बल की तू दाता 
गाता हूँ मै गीत तुम्हारे मैया करो उद्धार 

(02- माता की भेंट (02)



मै दर तेरे ते आया शेरां वालडिये  मै सजदे शीश नवाया शेरां वालडिये 

गुफा तेरी माँ विच पहाड़ा , जांदे भगत ने बणके कतारा 
ओथे कंजकां झुरमुट पाया शेरां वालडिये 

मै गुनहगार माँ बंदा तेरा , कर मंजूर माँ सज़दा मेरा 
मै आजत बनके आया शेरां वालडिये 

भगत तेरे जो दर ते आन्दे ,ध्वजा नारियल भेंट लियांदे 
मै अथरू भेंट ले आया शेरां वालडिये 

जग कहंदा माँ शेरां वाली ,तेरा रुतबा सब तो आली 
मै बनके सवाली आया शेरां वालडिये 


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(01- माता की भेंट (01)

                मैया जगदाता दी कहके जै माता दी तुरया जाँवी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

पहले दिल अपना साफ बना ले फिर मैया नू अर्ज सुना ले 
मेरी शक्ति वधा मैनु  चरना च ला कहंदा जावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

ओखी घाटी त पेंडा अवलडा  ओह्दी श्रद्धा डा फड़के तू पलड़ा 
साथी रल जानगे दुखड़े तल जानगे भेंटा गावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

तेरा हीरा जन्म अनमोला मिलना मुड़ मुड़ न मानुष दा चोला 
धोखा न खा लवी दाग न ला लवी बचया जावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

पहला  दर्शन है कोल कन्धोली दूजी देवा ने भरणी है झोली 
आद क्वारी  नू जगत महतारी नू सिर झुकावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

ओहदे नाम दा लैके सहारा लंघ जायेगा पर्वत सारा 
देखि सुंदर गुफा माँ दी जय जय बुला दर्शन पावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 



गुरुदेव के भजन 400 (Gurudev Ke Bhajan 400)




बाबा नटे मत, नटे मत , झोली भर दे 

सेवा नही जाणु बाबा जप नही जाणु 
म्हारी भंवर में नैया बाबा पार करदे 

सोना नही मांगू बाबा चांदी नही मांगू 
म्हारे संकटा ने बाबा जी तू दूर करदे 

दास ये गावे बाबा तेरे दर आवे 
सबकी मनसा ने बाबा तू पूरी करदे 



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गुरुदेव के भजन 399 (Gurudev Ke Bhajan 399)



तर्ज ------रंग और नूर की 

बाबा जी दिल का है क्या हाल तुझे पेश करूँ 
लूटा माया ने डाले जाल तुझे पेश करूँ

दिल मेरा कहता है सबपे तेरी इनायत है 
खुदा से पहले भी करता तुझे इबादत है 
तू ही कहदे मै अपना  हाल किसे पेश करूँ 

सुनता आया हूँ दुखियो का खुदा होता है 
कहानी सुनके भी दिल न किसी का रोता है 
मै तो अब आंसू के ये  हार तुझे पेश करूँ 

 सितम  के  बाद भी हम आज तलक जीते है 
अश्क के तारो से इस दिल को सिया करते है 
दिल का अफ़साना मै किस ज़ुबां से पेश करूँ 


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शनिवार, 23 मई 2015

गुरुदेव के भजन 398 (Gurudev Ke Bhajan 398)



हमसे रूठो न बाबा मै विनती करूँ , हम है बालक अगर भूल हो जाती है 
लौ लगन नाम की यूं ही रोशन रहे , हम तो मूर्ख है अगर भूल हो जाती है 

बेसहारों का तुम हो सहारा यहाँ , सारे किस्मत के मारे ही आते यहाँ 
तुम तो दाता हो, हम है भिखारी बाबा ,आखिर इन्सां है भूल हो जाती है 

मुझको मक्का मदीना मिला है यहाँ , काशी मथुरा और सारे ही तीर्थ यहाँ 
मै लगाउँगा माथे विभूति वो ही, तेरे चरणो की अगर धूलि मिल जाती है 

यूं न रूठो दो बाबा सहारा मुझे, वरना दर पे मेरा दम निकल जायेगा 
मुझको चरणो से अपने जुदा न करो, भूलकर भी अगर भूल हो जाती है



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गुरुदेव के भजन 397 (Gurudev Ke Bhajan 397)


आज भक्तो की अर्ज भी सुनलो 
मत जाओ प्यारे गुरुदेव 

जा रहे हो छोड़के हमको , हम विदा न कर पाएं तुमको 
देखो आँखे भर आई और जुबान लड़खड़ाई 
गलतियाँ माफ़ करना हमारी , हो गई जो हमसे गुरुदेव 

याद आएगी हर पल तुम्हारी , विनती इतनी है नाथ हमारी 
जब बुलाऊँ चले आना , आके दर्श दिखाना 
चाहे सपनो में आना , आ जाना प्यारे गुरुदेव 

ये जीवन दो दिन का मेला, आये जाये इन्सां अकेला 
सारे रिश्ते है झूठे , साँस रुके तेरी टूटे 
बस संग में इक ही जाये , नाम तेरा सच्चा गुरुदेव 

मन न माने आस बँधाओ ,थोड़ी देर तो और रुक जाओ 
सामने बैठा रहूं , मुँह से कुछ न कहूँ मै 
जाम भर भर के पीऊँ, आँखों से पिलाओ गुरुदेव 


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गुरुदेव के भजन 396 (Gurudev Ke Bhajan 396)


खा खा के ठोकरें भी ,फिर भी समझ न पाया 
करे तू गुमान जिस पर , है वो नाशवान काया

कभी नाम न लिया है , कभी ध्यान न दिया है 
जीवन  गवाया तूने , कुछ काम न किया है 
अब तो प्रभु सिमर ले , अन्त है समीप आया 

कैसे पाये चैन को तू, न किया भला किसी का 
है बिछाए पथ में कांटे , न बना तू मीत  किसका 
पछताने से क्या हासिल , कुछ  हाथ में न आया 

है प्रभु के खेल सारे , मत कर गुमान प्यारे 
झूठे है रिश्ते नाते , मतलब के मीत सारे 
तज दे गुमान सारे ,प्रभु की है सारी माया 

है वक्त तू सम्भल जा, कुछ कर्म अच्छे कर ले 
भज नाम को तू बन्दे ,कुछ ध्यान उसका धर ले 
कठपुतली सा तू नाचे ,माया ने है नचाया 


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गुरुदेव के भजन 395 (Gurudev Ke Bhajan 395)


हे मन तू अब जाग ज़रा तेरी उम्र गुजरने वाली है 
विषयो से अपने मन को हटा तेरी उम्र गुजरने वाली है 

विषयो ने तुझे भरमाया है , जग सपना है इक छाया है 
तू अब भी समझ न पाया है 

जग झूठा गोरखधंधा है , ये मोहमाया का फन्दा है 
रे मन तू अब चेत ज़रा 

ये झूठे रिश्ते नाते है न काम कभी ये आते है 
रे मन तू प्रभु से प्रीत लगा 

दुनिया है सारी मतलब की क्या बात करे तू इस जग की 
झूठी आशा को छोड़ ज़रा 

तू प्रभु चरणो से प्रीत लगा, जीवन को अपने सफल बना 
पी नाम प्याला सोच ज़रा 

किसका यहाँ रहा ठिकाना है ये जग तो इक वीराना है 
तू मन की कुण्डी खोल ज़रा 

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गुरुदेव के भजन 394 (Gurudev Ke Bhajan 394)



 तर्ज -------घूँघट के पट खोल रे 

मन की आँखे खोल रे हरि दर्शन होंगे 
आसन से मत डोल रे हरि दर्शन होंगे 

इस घट भीतर काशी  मथुरा 
अनहद बाजे ढोल रे 

इस घट में सब जगत पसारा 
जीवन ये अनमोल रे 

पी ले प्रभु के नाम का प्याला 
जीवन में रस घोल रे 

तन मन उसके करदे हवाले 
आनन्द में तू डोल रे 

जीवन उसके अर्पण करके 
सुख पाया अनमोल रे 


गुरुदेव के भजन 393 (Gurudev Ke Bhajan 393)



अब चेत कर अनाड़ी, विश्वास धार मन में ,
बाहर क्या ढूढ़ता है ,प्रभु को सम्भार तन में 

तू हो रहा बहिर्मुख , प्यारे लगे क्षणिक सुख ,
अंतर नही टटोले , ढूढे गुफा में बन में 

उसके है रंग न्यारे , नाना ये रूप धारे 
कभी ये मयूरा बनके, नाचे ये तेरे मन में 

आसन से न तू डोले, अनहद का भेद खोले 
जादू सा बनके बोले, तेरी  सच्ची लगन मे

उसका ये खेल सारा , ये जग का सब पसारा 
पी नाम का प्याला , खोजा उसी लगन में 

जीवन से मुक्ति पाओ ,उसकी शरण में जाओ 
तेरे घट में है वो हाज़िर , मत ढूँढ तू गगन में 

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गुरुदेव के भजन 392 (Gurudev Ke Bhajan 392)



सतगुरु तेरी शरण में आ गया 
दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया 

दुनिया से मुझको तो सारे गम मिले 
तेरे दर से सुख मुझे सारे मिले 
सोचकर तेरी शरण मै आ गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया 

चरणो में तेरे मेरे दोनों जहाँ 
ढूंढी दुनिया न मिला कोई ठिका 
दुनिया के नाते सभी ठुकरा गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया 


दिल में तेरी प्रीत का दीपक जला 
फिरता हूँ जग में मै अपनापन भुला 
तेरा ही बस रूप मन को भा गया दुनिया से बाबा बहुत घबरा गया 


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गुरुदेव के भजन 391 (Gurudev Ke Bhajan 391)



हे  पागल मनवा जाग ज़रा ये उमर गुज़रने वाली है 
बिरथा न जीवन को तू बिता ये उमर गुजरने वाली है 

झूठा ये  जगत पसारा है , तेरे भीतर ठाकुर द्वारा है 
तू मन की कुण्डी खोल ज़रा 

झूठी इस जग की माया है , तू क्यों मानव भरमाया है 
सतगुरु से प्रीती जोड़ ज़रा 

ये दुनिया काल का फन्दा है , ये दुनिया गोरखधंधा है 
मन पगले अब तू सोच ज़रा 

न तेरा है न मेरा है , ये दुनिया रैन बसेरा है 
दुनिया से नाता तोड़ ज़रा 

झूठी जग की चतुराई है , कौड़ी भी काम न आई है 
 गफलत से मुख को मोड़ ज़रा 

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गुरुदेव के भजन 390 (Gurudev Ke Bhajan 390)



मै तेरी दासी तेरी पुजारिन,  डाला तेरे दर पे डेरा, काटो चौरासी वाला फेरा 
आज तो बाबा करदो मुझपे मेहर ,  करो न देर 

 आज तेरे दर मै आई हूँ , श्रद्धा की माला लाई हूँ 
भेद तेरा कोई न जाने, कोई विरला ही पहचाने 
तेरे चरणो पे शीश है  मेरा ----------------------

तेरी दया की भीख मै पाऊँ ,खाली लौटके न मै  जाऊं 
चरणो का चरणामृत दे दो, मेरी इच्छा पूर्ण  करदो 
तेरे बिना अब कोई न मेरा -------------------------

मन की मुरादें मै पा जाऊं ,जीवन अपना सफल बनाऊँ 
लौटा न दर से कोई सवाली ,भरदो मेरी झोली खाली 
करदो ग़मों का दूर अँधेरा ---------------------------

बाबा तुम न मुझे ठुकराना ,अब तो अपनी शरण लगाना 
दुनिया भर का हूँ मै सताया , डाल दे सुख की शीतल छाया 
चमका दो किस्मत करदो सवेरा ---------------------------

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गुरुदेव के भजन 389 (Gurudev Ke Bhajan 389)


तर्ज;-----बनवारी रे जीने का 

ओ मनवा रे भूल गया क्यों बाबा नाम रे 
तूने जीवन बिताया बेकाम रे 

झूठी दुनिया झूठे बंधन झूठी है ये माया 
झूठे दुनिया के सब नाते झूठी है ये काया 
ओ----------विषयों का बना गुलाम रे ओ मनवा रे-----------

जोड़ ले बाबा से अपना नाता दुनिया को ठुकरा दे 
उसके ध्यान में खोकर तू सारी दुनिया बिसरा दे 
ओ-------तुझे पार लगाएगा नाम रे  ओ मनवा रे--------------

तन  मन अपना करके अर्पण नाम की लगन लगा ले 
मन की दुविधा दूर भगावे तू उनको  अपना ले 
ओ-------कर भक्ति तू निष्काम रे  ओ मनवा रे----------------

नाम है तेरा सच्चा  सहारा बाकी  सहारे झूठे 
दुनिया की तू परवाह न कर चाहे तुझसे ये रूठे 
ओ-------- कर सुमिरण सुबह शाम रे ओ मनवा रे---------------

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गुरुदेव के भजन 388 (Gurudev Ke Bhajan 388)



तर्ज -----नगरी नगरी द्वारे द्वारे 

चरणो में तेरे बीते उमरिया , ओ मेरे साँवरिया 
तन मन तेरे किया है अर्पण , हो गई मै बावरिया 

नैना निशदिन रो रो हारे चैन कभी न पाते है
 बाबा आओ दर्श दिखाओ हर पल तुझे बुलाते है 
दर्शन के बिन जीवन जैसे सूनी हो गगरिया 

पल छिन बीते याद में तेरी ऐसी कृपा कर देना 
जन्म मरण से मै छुट जाऊँ हाथ तू सिर पे धर  देना 
चरणो में तेरे प्राण ये निकले लेना तू खबरिया 

हम अज्ञानी तुम हो ज्ञाता हमको न ठुकराना तुम 
दुनिया चाहे मुझे भुला दे पर न कभी भुलाना तुम 
मन में सदा समाये रहना ज्यो काली बदरिया 

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गुरुदेव के भजन 387 (Gurudev Ke Bhajan 387)


गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 
तारणहार कहाते हो तुम अब तो पार करो 

मै अपराधी जन्म जन्म का 
दोष न हृदय धरो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

विषयो ने मुझको भरमाया 
अब तेरी शरण पड्यो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

मै हूँ एक जहाज का पंछी 
ठोर न कोई मेरो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

भक्ति  दान में अर्पण करदो 
जीवन सफल करो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

तेरी शरण में आया बाबा 
नैया  पार  करो गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

धन दोलत की चाह  नही है 
मन की दुविधा हरो  गुरु जी मेरे अवगुण चित न धरो 

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शुक्रवार, 22 मई 2015

गुरुदेव के भजन 386 (Gurudev Ke Bhajan 386)



अब तो बाबा मोहे उबार
दिवस बीते रैन बीती
बार बार पुकार

काम क्रोध समेत तृष्णा , रही पल पल घेर
नाथ दीनानाथ मेरे , मत लगाओ देर अब तो बाबा मोहे उबार

तुम हो स्वामी मै हूँ दासी , जन्म जन्म से मै  उदासी
पीड़ा हर लो मेरे मन की , अब तो सुनलो टेर अब तो बाबा मोहे उबार

उठी हिलोरें नैया डोले ,मन की कुण्डी कैसे खोले,
बाबा मेरे मोहे बचाओ,  नाथ करो न देर अब तो बाबा मोहे उबार


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गुरुदेव के भजन 385 (Gurudev Ke Bhajan 385)



रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल 
रे मनवा आसन से मत डोल 

अनहद नाद चले मन भीतर 
डम डम बाजे ढोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

गुरु जी ने लीला अजब रचाई 
नाम पिलाया घोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

तेरे रंग में रंग गई बाबा 
रे मन अब न डोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

चरणो में मुझे स्थान मिला है 
हीरा मिला अनमोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल

जीवन मेरा सफल हुआ है 
सच्चा पाया मोल रे मनवा गुरुजान गुरुजान बोल


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गुरुदेव के भजन 384 (Gurudev Ke Bhajan 384)

तर्ज ----क्या खूब लगती हो बड़ी 


गुरुदेव दया करना मेरे मन में रहा करना
 सिर पर तुम हाथ मेरे हरदम ही रखा करना 

आना तुम बाबा तब तब ----हाँ तब तब 
हम विपदा में तुमको पुकारे जब जब  सिर पर तुम हाथ मेरे हरदम ही रखा करना 


बाबा मुख से हम क्यों बोलें ----हाँ बोलें 
जानो दिल की भेद ये हम क्यों खोले   सिर पर तुम हाथ मेरे हरदम ही रखा करना 


बाबा साथ में रहना हरदम ------हाँ हरदम 
चरणो में  तेरे  निकले बाबा ये दम  सिर पर तुम हाथ मेरे हरदम ही रखा करना 


तेरे दर पे पापी डोले ---------------हाँ डोले 
पागल मनवा बनके पपीहा बोले    सिर पर तुम हाथ मेरे हरदम ही रखा करना 


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गुरुदेव के भजन 383 (Gurudev Ke Bhajan 383)



तर्ज;----ऐ मेरे दिले नादां तू गम से 

हे महानन्द बाबा तेरी शरण में आया हूँ 
मुझ पर भी कृपा करना उम्मीदें लाया हूँ 

तुम बहुत दयालु हो सबके दुःख हरते हो 
जो दर पे आ जाये भव पार करते हो 
मेरी भी सुन लेना फरियाद लाया हूँ 

तेरे दर जो आता है  न  खाली जाता है 
रोता हुआ जो आये हँसता हुआ जाता है 
दुःख दूर करो मेरे बड़ी आशा लाया हूँ 

जग तेरा सवाली है कोई लौटा न खाली है 
इच्छा सब पूरी करो जाये वचन न खाली है 
मेरी भव बाधा हरो मै आस ये लाया हूँ 


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गुरुदेव के भजन 382 (Gurudev Ke Bhajan 382)


तर्ज ----मेरा दिल ये पुकारे आजा 

आजा मेरे बाबा आजा तेरा दास पुकारे आजा 
मै तो डूबा हूँ यहाँ बाबा तुम हो कहाँ 
ढूँढा सारा ये जहाँ बाबा तुम हो कहाँ 

चैन मिलता नही खोया है दिल कहीं 
अब मेरा सहारा कोई भी नही 
ढूँढा सारा जहाँ अब जाऊं मै कहाँ 
मुझे इतना ज़रा समझा जा मै तो डूबा हूँ यहाँ बाबा तुम हो कहाँ 

बीती सारी उम्र खो गया कारवां 
खो गई ये ज़मी खो गया आसमां 
अब जाऊँ मै कहाँ मेरा कोई न यहाँ 
मुझको तू ज़रा अपना जा मै तो डूबा हूँ यहाँ बाबा तुम हो कहाँ 

गम भरा ये जहाँ हर कोई बदगुमां 
तेरे चरणो में ही सबको मिलता ठिका 
करो नज़रे मेहर बड़ी कठिन डगर 
हम तेरे सहारे आजा मै तो डूबा हूँ यहाँ बाबा तुम हो कहाँ 


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गुरुदेव के भजन 381 (Gurudev Ke Bhajan 381)



तर्ज;---माँ मुझे अपने आँचल में 

बाबा मुझे अपने चरणो से  लगा ले शरण में बुला ले कि और मेरा कोई नहीं 
तेरा दास हूँ मै बाबा पास बुला ले चरणो में बिठा ले कि और मेरा कोई नही 

बच्चा तेरा हूँ बाबा मै तो अनजान हूँ 
माफ़ करो भूल मेरी बिल्कुल नादान हूँ 
माँ की तरह मुझको आँचल में छुपा ले  चरणो में बिठा ले कि और मेरा कोई नही 

कोई भूल हो तो तुम माफ़ करो बाबा 
अपने बच्चो को न ठुकराओ बाबा 
आये शरण में तू गले से लगाले  चरणो में बिठा ले कि और मेरा कोई नही 

दुनिया ने बाबा मुझे कितना रुलाया 
सबने ठुकराया मुझे सबने सताया 
तुझपे भरोसा है मेरा तू ही बुला ले  चरणो में बिठा ले कि और मेरा कोई नही 

जग का ठुकराया बाबा दर पे तेरे आया 
करदे मुझपे भी बाबा सुख की तू छाया 
गम के भंवर से तू मुझको बचाले  चरणो में बिठा ले कि और मेरा कोई नही 

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गुरुदेव के भजन 380 (Gurudev Ke Bhajan 380)



तर्ज ----जाने वालो ज़रा 

ऐ बाबा ज़रा ,सुनले दिल की सदा, मै तेरा दास हूँ 
दर्श अपने दिखा, तू मुझे न भुला ,तेरे दर पे पड़ा 
मै तेरा दास  हूँ 

दिल के अंदर छुपाये तेरी मै लगन 
कबसे आया हूँ दर पे मै मांगू शरण 
तेरे दर पे खड़ा तू चरण से लगा मै तेरा दास  हूँ 

ढूढ़ा जग में पाया न कोई ठिका 
वैरी जग है मेरा दिल से  उठता धुँआ 
तू गले से  लगा पास अपने बुला  मै तेरा दास  हूँ 

जोत नाम की तू मेरे दिल में जगा 
झूठी दुनिया है सबने दी मुझको दगा 
हाले  गम सुन ज़रा दर्द की दे दवा मै तेरा दास  हूँ 


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गुरुदेव के भजन 379 (Gurudev Ke Bhajan 379)



बाबा जी मेरी विनती सुनो आकर मेरे कष्ट हरो 
चरणो में आ गया नाथ नैया पार करो 

आ गया तेरे दर पे बाबा लौटके अब नही जाऊंगा 
तेरा दास कहाके बाबा और कहाँ मै जाऊंगा 
दुःख संकट सब दूर करो भंडारे भरपूर करो चरणो में आ गया नाथ नैया पार करो 


सारी दुनिया में बाबा जी तेरी जयजयकार है 
जो भी तेरे दर पे आये हो जाए बेडा पार है 
नैया मेरी पार करो कालफंद तुम आके हरो चरणो में आ गया नाथ नैया पार करो 


विपदाओं ने बाबा मुझको जग में बहुत सताया है 
जिस दुनिया से थी उम्मीदे उसने ही ठुकराया है 
शरण में तेरी आन पड्यो तन मन  के सन्ताप हरो चरणो में आ गया नाथ नैया पार करो 


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गुरुदेव के भजन 378 (Gurudev Ke Bhajan 378)


तर्ज-----लेके पहला पहला प्यार 

सुनलो भक्तों की पुकार बाबा आये तेरे द्वार 
विनती सुनलो हमारी बाबा करदो बेडा पार 

तुम हो दयालु बाबा जग के खिवैया 
डूब न जाए मेरी आशा की नैया 
आज बनके खेवनहार मेरी नैया करदो पार विनती सुनलो हमारी बाबा करदो बेडा पार 

हम अज्ञानी बाबा दास तुम्हारे 
चरणो में तेरे बाबा है सुख सारे 
बाबा सुनके मेरी पुकार आजा मेरे पालनहार विनती सुनलो हमारी बाबा करदो बेडा पार 

हम दुखियारे बाबा तुम रखवाले 
डूबे हुए को बाबा आके बचाले 
बाबा काटे कर्म हज़ार लेकर नामरुपी तलवार विनती सुनलो हमारी बाबा करदो बेडा पार 


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गुरुदेव के भजन 377 (Gurudev Ke Bhajan 377)


तर्ज --------दुःख तो अपना साथी है 

काहे मानव दुःख की चिन्ता तुझे सताती है 
सतगुरु तेरा  साथी है 
सुख दुःख से न घबराना ये रुत आती जाती है 
सतगुरु तेरा साथी है 

झूठी जग की माया है क्यों मानव भरमाया है 
आशा तृष्णा है परछाई जिसने तुझे उलझाया है 
हे बन्दे तू अब जाग ज़रा ----ओ ---
दिल तो इक पागल पंछी माया भरमाती है सतगुरु तेरा साथी है 

मोह माया से जाग ज़रा सतगुरु से तू नेह लगा 
खोलके दिल के दरवाज़े मन में प्रीत की जोत जगा 
मन के बंधन तू खोल ज़रा ---ओ -----
मन लोभी कामी भंवरा झूठी परिपाटी है सतगुरु तेरा साथी है 


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गुरुदेव के भजन 376 (Gurudev Ke Bhajan 376)



दुःख दूर कर हमारा संसार के रचैया 
बाबा बचाओ आकर मंझधार में है नैया 

तुम देर न लगाओ बाबा जी जल्दी आओ 
मेरी लाज को बचाओ पकडूँ मै तेरे पैयाँ 

तेरी शरण में आये है गम  के काले साये 
तुम भव से पार करदो न डूब जाए नैया 

तेरे दर सवाली आया दुनिया का हूँ सताया 
लौटाना तुम न दर से तेरे हाथ मेरी नैया 

बुरे या भले है तेरे बाबा जी बच्चे तेरे 
नज़रे मेहर की करदो ममता की करदो छैया 



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गुरुवार, 21 मई 2015

गुरुदेव के भजन 375 (Gurudev Ke Bhajan 375)


तर्ज -----महलों ने छीन लिया 

बाबा जी तेरा द्वार मिला मुझे नया संसार मिला 
तेरे दर्शन को पाकर दिल को भी करार मिला 

नज़रो से तुम दूर मुझसे न होना 
न खाली पड़े फिर दिल का कोना 
तुझे दिल में बसाया है तुमसे ही प्यार मिला 

देखो कभी दिल न टूटे हमारा 
दुनिया में बस इक सहारा तुम्हारा 
यादोँ की खुशबु से इस दिल का चमन खिला 

शरण में पड़ी हूँ दासी तुम्हारी 
करूँ तेरी पूजा  मै हूँ दुखियारी
भव पार लगाओगे दिल को ऐतबार मिला  


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गुरुदेव के भजन 374 (Gurudev Ke Bhajan 374)

तर्ज ----जब दिल ही टूट गया 

जब तू ही रूठ गया हम कैसे जी सकेंगे 
तेरा दामन छूट गया हम कैसे जी सकेंगे 

बाबा जी तुझको हमने दिल में यूं बसाया था 
काजल के जैसे अपने नैनो में समाया था 
दिल मेरा टूट गया 

तेरा प्रेम पाके हमने दुनिया को भुलाया था 
रिश्तेदारी ठुकराकर तुझे अपना बनाया था 
पर तू ही रूठ गया 



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गुरुदेव के भजन 373 (Gurudev Ke Bhajan 373)


तर्ज----मेरे दिलबर मुझसे 

मेरे बाबा मुझसे खफा न हो 
मुझे इतनी लम्बी सज़ा न दो 
तेरे दर्शन बिन अब रहा जाये न
 ये गम अब मुझसे सहा जाए न 

क्यों इतना मुझे रुलाते हो 
क्यों इतना मुझे सताते हो 
मेरा  तेरे सिवा कोई और नहीँ 
कहाँ जाऊं मै कोई ठौर नहीँ 

मेरे बाबा अब तो मेहर करो 
मेरी अर्ज सुनो न  देर करो 
कहदो कि तुम अब खफा नही 
कहदो कभी होंगे जुदा नही 


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गुरुदेव के भजन 372 (Gurudev Ke Bhajan 372)


तर्ज -------इब्तदाये इश्क में हम सारी 

बाबा तेरा नाम हमको लगता है प्यारा 
नैया मेरी पार कर देना 

राहें मेरी काँटों भरी है 
मुश्किल सिर पे आन पड़ी है 
सफर कठिन है रास्ता न जानू 
मेरी परीक्षा की ये घड़ी है 
मेरे बाबा आज मैने तुझे ही पुकारा 

पापकर्म है रास्ते को घेरे 
कैसे आऊँ द्वार मै तेरे 
विषय विकारो में फंसकर बाबा 
जपा न कभी मैने नाम को तेरे 
सौप दिया चरणों में जीवन ये सारा 

माया मोह ने डाला घेरा 
मुझको एक सहारा है तेरा 
दुनिया सारी तजके बाबा 
देखूँ एक नज़ारा तेरा 
तेरी जोत से जीवन हुआ उजियारा 


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गुरुदेव के भजन 371 (Gurudev Ke Bhajan 371)


तर्ज ---आजा रे प्यार पुकारे 

आ जाओ दास पुकारे नैना तो रो रो हारे 
किसको सुनाऊँ हाल मेरा 

लूटा मुझको है बाबा मोहजाल ने 
तेरे नाम को भुलाया फंस जंजाल में 
तेरी याद तो मन तड़पाये रे चैन न पाये रे 

मै तो कबसे बैठा अंधकार में 
बाबा आन बचाओ हूँ मंझधार में 
सुनलो बाबा मन की पुकार आज दे दो दीदार रे 

मुझे तेरी ही बाबा इक आस है 
तेरे बिन दिल रहता उदास है 
तेरा इंतज़ार करूँ तेरी फरियाद बाबा आजा इक बार रे 


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गुरुदेव के भजन 370 (Gurudev Ke Bhajan 370)


तर्ज----कहीं पे निगाहें 

कठिन है राहें रास्ता दिखाना  
पाप कर्मो से हमें तू आ बचाना 

रे मन मूर्ख तू अब भी सम्भल जा 
झूठे मायाजाल को तू तोड़के निकल जा 
जन्म यूं बातों में अब न गंवाना 

हीरे जैसा तन पाके रखा न ख्याल रे 
जीवन तूने दिया पर की न सम्भाल रे 
समय बीता जाये पड़े न पछताना 

मोह वाले जाल ने हमें है आज घेरा 
काटो बाबा बंधन मोरे चौरासी का फेरा 
माया के जाल से तू हमे आ छुड़ाना 

बाबा आन बचाओ भंवर में है बेडा 
तुम बिन बाबा और न कोई  अब मेरा 
बाबा मेरी नैया किनारे पे लगाना 

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