यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 21 मई 2015

गुरुदेव के भजन 369 (Gurudev Ke Bhajan 369)



तेरा द्वार कभी न छूटे 
तन से निकले प्राण मगर ये डोर कभी न टूटे 

तू कभी न मुझसे रूठे 
तू न मुझसे खफा रहे ये दुनिया चाहे छूटे 

तेरे दर्श को नैना तरसे 
अब न मुझे तरसाओ बाबा नैना छम छम बरसे 

मेरे दिल में करो बसेरा 
तेरे ध्यान में खोई रहूँ कहीं  दिल न लगे अब मेरा 

बाबा मुझे सहारा तेरा 
रिश्ते नाते तोड़के सारे लिया आसरा तेरा 

तेरे बिना न कोई दूजा 
तू ही मेरे मनमंदिर में बसा है करूॅ  तेरी मै पूजा 

नैया मेरी ये डोले 
थामो तुम पतवार मेरी दिल मेरा कभी न डोले 


_________________________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें