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शनिवार, 23 मई 2015

गुरुदेव के भजन 388 (Gurudev Ke Bhajan 388)



तर्ज -----नगरी नगरी द्वारे द्वारे 

चरणो में तेरे बीते उमरिया , ओ मेरे साँवरिया 
तन मन तेरे किया है अर्पण , हो गई मै बावरिया 

नैना निशदिन रो रो हारे चैन कभी न पाते है
 बाबा आओ दर्श दिखाओ हर पल तुझे बुलाते है 
दर्शन के बिन जीवन जैसे सूनी हो गगरिया 

पल छिन बीते याद में तेरी ऐसी कृपा कर देना 
जन्म मरण से मै छुट जाऊँ हाथ तू सिर पे धर  देना 
चरणो में तेरे प्राण ये निकले लेना तू खबरिया 

हम अज्ञानी तुम हो ज्ञाता हमको न ठुकराना तुम 
दुनिया चाहे मुझे भुला दे पर न कभी भुलाना तुम 
मन में सदा समाये रहना ज्यो काली बदरिया 

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