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शनिवार, 23 मई 2015

गुरुदेव के भजन 398 (Gurudev Ke Bhajan 398)



हमसे रूठो न बाबा मै विनती करूँ , हम है बालक अगर भूल हो जाती है 
लौ लगन नाम की यूं ही रोशन रहे , हम तो मूर्ख है अगर भूल हो जाती है 

बेसहारों का तुम हो सहारा यहाँ , सारे किस्मत के मारे ही आते यहाँ 
तुम तो दाता हो, हम है भिखारी बाबा ,आखिर इन्सां है भूल हो जाती है 

मुझको मक्का मदीना मिला है यहाँ , काशी मथुरा और सारे ही तीर्थ यहाँ 
मै लगाउँगा माथे विभूति वो ही, तेरे चरणो की अगर धूलि मिल जाती है 

यूं न रूठो दो बाबा सहारा मुझे, वरना दर पे मेरा दम निकल जायेगा 
मुझको चरणो से अपने जुदा न करो, भूलकर भी अगर भूल हो जाती है



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