बाबा बिन तेरो कौन सहाई
मात पिता सुत नारी भाई अंत सहायक नाही
क्यों करता है मेरी मेरी ये तन एक राख़ की ढेरी
छोड़के पिज़रा इक दिन उड़ना तज दे प्रीत पराई
तज दे झूठी माया काया क्यों मानव इसमें भरमाया
गुरु जी ने सच्चा तत्व बताया वो ही तेरा सहाई
ये जग है इक झूठी माया कंचन जैसा महल बनाया
तूने माया में मन को रमाकर चैन गंवा दिया भाई
गुरु को मीत बना ले अपना ये जग है इक झूठा सपना
छूटेंगे जिस दिन प्राण तेरे तो हँस अकेला जाई
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