इक परदेसी मैया सानू कह गया, निश्चा वाला दाती तो मुरादा ले गया
जेह्ड़ा जाप निश्चा नाल करण बै गया, ओहदा बेडा सागर तो पार बह गया
मैया दे भवन दी ऐ ही निशानी जगमग जग रही जोत नूरानी
राही केहन्दा नेड़े है भवन रह गया
जग दी तू दाती नाम शेरा वाली , आये जो सवाली कदी जाये न खाली
मै वि दास आप दी शरण आ गया
पापिया नू मारे भगता नू तारे , पल विच सेवका दी बिगड़ी संवारे
ज्ञान कर जेहड़ा चरणा च आ गया
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