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रविवार, 24 मई 2015

(01- माता की भेंट (01)

                मैया जगदाता दी कहके जै माता दी तुरया जाँवी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

पहले दिल अपना साफ बना ले फिर मैया नू अर्ज सुना ले 
मेरी शक्ति वधा मैनु  चरना च ला कहंदा जावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

ओखी घाटी त पेंडा अवलडा  ओह्दी श्रद्धा डा फड़के तू पलड़ा 
साथी रल जानगे दुखड़े तल जानगे भेंटा गावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

तेरा हीरा जन्म अनमोला मिलना मुड़ मुड़ न मानुष दा चोला 
धोखा न खा लवी दाग न ला लवी बचया जावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

पहला  दर्शन है कोल कन्धोली दूजी देवा ने भरणी है झोली 
आद क्वारी  नू जगत महतारी नू सिर झुकावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 

ओहदे नाम दा लैके सहारा लंघ जायेगा पर्वत सारा 
देखि सुंदर गुफा माँ दी जय जय बुला दर्शन पावी वेखि पेंडे तो न घबरावी 



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