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मंगलवार, 19 मई 2015

गुरुदेव के भजन 334 (Gurudev Ke Bhajan 334)

तर्ज ---दिल का खिलौना 

तर्ज ------दिल का खिलौना हाय टूट गया 

दर तेरे आया जग छूट गया , सारा जमाना मुझसे रूठ गया 

बाबा जी क्यों तूने मुझको भुलाया 
करदे  ओ बाबा ज़रा सुख की तू छाया
तेरे दरबार आया आंसू के हार लाया 
गले से लगाओ बाबा जग ठुकराया 
तू भी क्यों बाबा मुझसे रूठ  गया

करदे ओ बाबा अपनी ममता का साया 
दुःख  की है धूप बाबा मिल जाये छाया 
तेरा जो प्यार मिले सोया नसीब खुले 
करना दया ओ बाबा आस लेके आया 
तेरा साथ मुझसे क्यों छूट गया 

सोया है भाग मेरा कैसे जगाऊँ 
हरदम रोता  रहूं  गीत कैसे गाउँ 
करना मेहर तू बाबा करूँ तेरा ध्यान बाबा 
तेरे चरणो में मैने शीश झुकाया 
दिल मेरा बाबा जग से छूट गया 

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