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रविवार, 24 मई 2015

(08 माता की भेंट (08)

जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 
इक वार वन्दना अनेक बार वन्दना 

मेरी मैया दे गल विच हार वे 
मै ता आई मैया दे दरबार वे 
ऑथो मुक्ति दा  दान  ऐसा मंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

मेरी मैया दे द्वारे जो वि आवे 
मुँहो मंगिया मुरादा पावे 
ऐदे दर तो सब कुछ मंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

मेरी मैया जहाज बनाया 
अपनी शक्ति दे नाल चलाया 
आवो आवो जिन्हा ने पार लंगणा जी मेरी शेरां वाली दे  अगे वन्दना 

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