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रविवार, 24 मई 2015

(07 माता की भेंट (07)

तर्ज-----मै क्या करूँ 

मै आज तो जगदम्बे तेरे द्वारे आ गया 
मै  भवन ते आ गया 

सारा जग खोज्या न  कुछ मैनु पाया 
आखिर  हारके मै द्वारे तेरे आ गया 
कर बेडा मेरा पार तेरे द्वारे आ गया 

तू ही भक्ता दी लाज बचादी ऐ 
डूबदी नैया नू पार लगान्दी ऐ 
 दीना दी दातार तेरे द्वारे आ गया 

मै वि मैया तेरे चरना दी पुजारी हाँ 
दीन  दुखी ते निर्बल भिखारी हाँ 
सुन मेरी वी  पुकार तेरे द्वारे आ गया 

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