भजले बन्दे नाम बाबा का जीवन सफल हो जाएगा
यूं न गवाना इस पल को फिर हाथ न कुछ भी आएगा
खाली आया खाली जाना क्यों मानव भरमाया है
ये तन माटी में मिल जाना झूठा महल बनाया है
नाम जप ले सुमिरन करले फिर पीछे पछतायेगा
ये है इक रैन बसेरा किसका यहाँ ठिकाना है
ये तन है माटी की काया बूँद पड़े घुल जाना है
नाम सुमिर ले भव से उबर ले पल न लौट के आएगा
न कोई साथी तेरा अपना झूठा जग का नाता है
झूठे सारे रिश्ते नाते कोई न साथ निभाता है
मुठ्ठी बांधके आया जग में हाथ पसारे जायेगा
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