अब तो बाबा मोहे उबार
दिवस बीते रैन बीती
बार बार पुकार
काम क्रोध समेत तृष्णा , रही पल पल घेर
नाथ दीनानाथ मेरे , मत लगाओ देर अब तो बाबा मोहे उबार
तुम हो स्वामी मै हूँ दासी , जन्म जन्म से मै उदासी
पीड़ा हर लो मेरे मन की , अब तो सुनलो टेर अब तो बाबा मोहे उबार
उठी हिलोरें नैया डोले ,मन की कुण्डी कैसे खोले,
बाबा मेरे मोहे बचाओ, नाथ करो न देर अब तो बाबा मोहे उबार
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