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शुक्रवार, 22 मई 2015

गुरुदेव के भजन 386 (Gurudev Ke Bhajan 386)



अब तो बाबा मोहे उबार
दिवस बीते रैन बीती
बार बार पुकार

काम क्रोध समेत तृष्णा , रही पल पल घेर
नाथ दीनानाथ मेरे , मत लगाओ देर अब तो बाबा मोहे उबार

तुम हो स्वामी मै हूँ दासी , जन्म जन्म से मै  उदासी
पीड़ा हर लो मेरे मन की , अब तो सुनलो टेर अब तो बाबा मोहे उबार

उठी हिलोरें नैया डोले ,मन की कुण्डी कैसे खोले,
बाबा मेरे मोहे बचाओ,  नाथ करो न देर अब तो बाबा मोहे उबार


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