तर्ज----कहीं पे निगाहें
कठिन है राहें रास्ता दिखाना
पाप कर्मो से हमें तू आ बचाना
रे मन मूर्ख तू अब भी सम्भल जा
झूठे मायाजाल को तू तोड़के निकल जा
जन्म यूं बातों में अब न गंवाना
हीरे जैसा तन पाके रखा न ख्याल रे
जीवन तूने दिया पर की न सम्भाल रे
समय बीता जाये पड़े न पछताना
मोह वाले जाल ने हमें है आज घेरा
काटो बाबा बंधन मोरे चौरासी का फेरा
माया के जाल से तू हमे आ छुड़ाना
बाबा आन बचाओ भंवर में है बेडा
तुम बिन बाबा और न कोई अब मेरा
बाबा मेरी नैया किनारे पे लगाना
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