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सोमवार, 18 मई 2015

गुरुदेव के भजन 321(Gurudev Ke Bhajan 321)



तर्ज -------इक परदेसी 

बाबा कोई मुझसे दीवाना कह गया निश्चय वाला तुझसे मुरादें ले गया 
जो भी बाबा आपकी शरण आ गया बेड़ा उसका तो भव पार बह गया 

बाबा तुझे चाहे लाखों दिल वाले तू जिसे चाहे उसे पार लगादे 
सागर दया का चरणों में बह गया 

विरला ही होगा जो न तुझे जाने तेरी ही कृपा से बाबा भरते ख़ज़ाने 
जो भी अाया वो तो मालोमाल  हो गया 

तेरे चरणो का मुझको भरोसा ये सब दुनिया धोखा ही धोखा 
चरणो का अमृत पान कर लिया 

दिल के खज़ाने की खोलो अलमारी प्रकटे जहाँ से ज्योति तुम्हारी 
मुक्ति का मुझको ठिकाना मिल गया 


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