तर्ज ---बहारो फूल बरसाओ
बाबा जी अब तो आ जाओ तुझे दिल ने पुकारा है
मुझे फिर दर्श दिखलाओ तुम बिन कौन हमारा है तुझे दिल ने पुकारा है
तेरे बिन सूनी हर राहे है हर उम्मीद वीरां सी
मेरा जीवन है इक उलझन तुही सुलझाओ उलझन भी
न दिल को और तरसाओ तुझे दिल ने पुकारा है
करूँ पूजा तेरी निशदिन हो मूर्त तेरी आँखों में
न दूजा और दिल में हो रहो तुम मेरी सांसो में
कर्म इतना तो फ़रमाओ तुझे दिल ने पुकारा है
बसाया तुमको इस दिल में जहाँ में तुम ही प्यारे हो
न चाहूं दुनिया को अब मै तुम्ही मेरे सहारे हो
ख्यालों में समा जाओ तुझे दिल ने पुकारा है
मै सांसो की माला में तेरा ही नाम रटती हूँ
करूँ विनती मै ये तुझसे तेरा जब ध्यान करती हूँ
न मुझको और बिसराओ तुझे दिल ने पुकारा है
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