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गुरुवार, 7 मई 2015

गुरुदेव के भजन-226 (Gurudev Ke Bhajan226)




सोच ज़रा मन अब तो करले कुछ जतन अपनी जिंदगी में करले तू थोड़ा सुधार 
जीवन मिले न बार  बार 

लाखों जन्मों के बाद में ये तन तूने पाया है 
पर विषयो में डूबके माटी में इसको मिलाया है 
अब तो जी में ठान ले हार ज़रा मान ले 
छोड़ अभिमान को  बात मेरी मान ले 

जीवन ये अनमोल है जिसका न कोई मोल रे  
सबकी भलाई करता चल वाणी में अमृत घोल रे 
छोड़ दे दुनिया का डर अब न कर कोई फ़िक्र 
बाबा की शरण में आ चरणों में ही रख नज़र 



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