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शुक्रवार, 15 मई 2015

गुरुदेव के भजन-304(Gurudev Ke Bhajan 304)



तर्ज ---रहा गर्दिशों में हरदम 

बाबा दर्श तुम दिखाओ दिल ने तुझे पुकारा 
तेरे सिवा जहाँ में कोई नहीं हमारा 

खाई ठोकरें जहाँ की संसार लगता झूठा 
कैसे मनाऊँ तुझको तू भी है मुझसे रूठा 
अपना लो बाबा मुझको तेरा ही है सहारा 

तेरे सिवा मै किससे  अपनी कहूँ कहानी 
बेदर्द है ये दुनिया तूने ही पीर जानी 
टूटी ये नैया मेरी पा जायेगा किनारा 

अब तो दर्श दिखादो अज्ञान को मिटादो 
अपनी शरण में ले लो ममता को तुम लुटादो 
आया हूँ द्वारे तेरे दुनिया से मै हूँ हारा 


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