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रविवार, 17 मई 2015

गुरुदेव के भजन 312 (Gurudev Ke Bhajan 312)

तर्ज-------नगरी नगरी द्वारे द्वारे 

 भटक रहे हम द्वारे द्वारे बाबा लो खबरिया 
कबसे बाबा तुम्हें पुकारें अब तो लो खबरिया 

तेरे दर्श के नैन बावरे हरदम राहें तकते है  बाबा अब तो आँखे खोलो हम तो तुम्हारे बच्चे है 
तुम बिन सूनी दुनिया सारी हो गई मै बावरिया 

दर्शन दे दो प्यास बुझा दो अब तो बाबा नैनन की दिल तड़पे है बाबा तुम बिन प्यास बुझादो बिरहन की 
तुम बिन सूखी सारी सृष्टि बरसो बन बदरिया 

बाबा जी अब विनती सुनलो सुध ले लो हम बच्चो की तेरे बिना न कोई हमारा आस करो पूरी सबकी 
नाथ मेरे न नाता तोड़ो ले लो अब खबरिया 

बाबा तेरे दर्शन के बिन नैना चैन न पाते है दिल में बसी है मूरत तेरी हर पल तुमको ध्याते है 
कब सुध लोगे आकर मोरी ओ मोरे सांवरिया 

अब तो कहना मान भी जाओ विनती सुन लो तुम मेरी मेरी भूलें दतुम बिसरा दो जो भी गलती हो मेरी 
अब तो हमको न ठुकराओ बाबा लो खबरिया 

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