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शुक्रवार, 1 मई 2015

गुरुदेव के भजन-173 (Gurudev Ke Bhajan173)




इस भरी दुनिया से खाली आ गया आ गया दर पे सवाली आ गया

क्या पता था फूल में भी खार है ख़ुदपरस्ती का यहाँ बाज़ार है
प्यार में व्यापार धोखा खा गयाआ गया दर पे सवाली आ गया

जानकर अनजान मै बनता रहा छोड़कर नेकी बदी करता रहा
होश में आया तो मै घबरा गया आ गया दर पे सवाली आ गया

जो भी चाहो दो सज़ा गुनहगार हूँ है हकीकत इसलिए लाचार हूँ 
हालेदिल तुमको बताने आ गया आ गया दर पे सवाली आ गया




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