प्रेम से ध्यान से तू बाबा के नाम को तू
जप ले रे मनवा जप ले रे मनवा
इस दुनिया में न कोई ऐसा जो सगा है तेरा
बाबा को अपना ले तू मिटे चौरासी का ये फेरा तेरा
क्यों न नाम जपे तेरे पाप कटे
इस दर पे शीश झुकाता है जो जीवन को सफल बनाता है वो
बाबा जी उसके दुखड़े हरे इक पल भी ध्यान लगाता है जो
तू जो निश्चा करे भव से पार करे
काहे फंसा मोह के जाल में अपने मन में ज़रा न विचारा तूने
जीवन बिताया है सोते हुए पल भर भी न उसको संवारा तूने
अब क्यों देर करे क्यों अंधेर करे
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