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गुरुवार, 14 मई 2015

गुरुदेव के भजन-288 (Gurudev Ke Bhajan 288)

--तर्ज -गुज़रा हुआ ज़माना -


मुझे रास आ गया है तेरे दर पे सर झुकाना 
तुझे मिल गई पुजारिन मुझे मिल गया ठिकाना 

मुझे क्या गर्ज़ किसी से हँसे फूल या सितारे 
मेरे लिए तुम्ही हो बस जान से भी प्यारे 
इक तुम ख़फ़ा न होना रूठे चाहे ज़माना 

दिल में बसाया जबसे आँखों में रम रहे हो 
हर गुल में बस रहे हो हर शाख में तुम्ही हो 
मेरी सांस गा रही है तेरे नाम का तराना 

विनती मेरी यही है सिमरन करूँ तुम्हारा 
दिल से कभी न भूलूँ कभी नाम ये तुम्हारा 
तेरे नाम की ही धुन में रहे दिल मेरा दीवाना 



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