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गुरुवार, 14 मई 2015

गुरुदेव के भजन-293 (Gurudev Ke Bhajan 293)



मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

गली गली में धूम मची है गली गली में शोर 
अब तो मनवा ध्यान लगाले मत भरमावे और मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर 
बाबा नाम को रट्ले मनवा दुःख हो जावें दूर मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

माटी कहे कुम्हार से तू क्यों रोंधे मोहे 
इक दिन ऐसा आएगा मै रौंदूगी तोहे मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

सत्संग मन के मैल को करता मन से दूर 
ध्यान लगावे जो बाबा का करते दुखड़े दूर मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

दुनिया एक सराय है इक आवे इक जाये 
जो आवे तेरी शरण में जन्म मरण छुट जावे मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

हर पल तेरा आसरा हर पल तेरी आस 
बाबा तेरे नाम का सदा रहे विश्वास मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

एक तुम्हारो नाम ही काटे सारे रोग 
आवागमन मिटाके बाबा बदलो हर संजोग मेरे बाबा के भवन पे होली खेले लांगुरिया 

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