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शुक्रवार, 15 मई 2015

गुरुदेव के भजन-298 (Gurudev Ke Bhajan 298)



तर्ज -----रंग बरसे भीगे चुनर वाली 

रंग बरसे बाबा जी तेरे भवन पे रंग बरसे 
ओ रंग बरसे बाबा जी तेरे भवन पे रंग बरसे 

कोई फूलो के गजरे है लाया 
कोई चन्दन का लेप है लाया 
पहनों फूलों के हार सजा है दरबार  रंग बरसे -------

चुन चुन कलियों की माला बनाई 
बाबा जी मै तेरी भेंट लाई 
खोलो बाबा जी दरबार खड़ी तेरे द्वार  रंग बरसे -----

प्रेम की बाती दिल में जलाई 
नाम की तेरे अलख लगाई 
खोलो बाबा जी भंडार खड़े है तेरे द्वार  रंग बरसे ------

पान सुपारी बाबा लौंग इलाची 
सुबह उठ तुझको मै भोग लगाती 
भक्तो की लगी है कतार तेरे दरबार   रंग बरसे -------

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