तर्ज ---किवड़िया खोल दूँगी
मेरे बाबा जी चरणो में तुम बिठा लो मुझको
जगत को छोड़ दूँगी
मुझको हर हाल में जैसी हूँ अपना लो मुझको
जगत को छोड़ दूँगी
करती हूँ विनती तुझको मनाऊँगी
तेरे गुण गाके बाबा तुझको रिझाउंगी
मेरे बाबा जी अपना नौकर बनालो मुझको जगत को छोड़ दूँगी
करती हूँ पूजा दासी हूँ तेरी
जन्म जन्म की मै तो तेरी चेरी
मेरे बाबा जी जीने मरने से छुड़ालो मुझको जगत को छोड़ दूँगी
सदा से हूँ तेरी तेरी ही रहूँगी
तुझसे न कहूँगी तो किससे कहूँगी
मेरे बाबा चौरासी के फन्दो से बचालो मुझको जगत को छोड़ दूँगी
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