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सोमवार, 4 मई 2015

गुरुदेव के भजन-193 (Gurudev Ke Bhajan193)



ऐहसान तेरा होगा मुझ पर अपने चरणों में मुझको रहने दो 
तेरे दर पर अब मै  गया मुझे अपनी पनाहों में रहने दो 

चाहे बना दो चाहे मिटा दो मर्जी है ये गुरु जी तुम्हारी 
मैने अपना तुमको मान लिया मुझे अपनी शरण में रहने दो 

मैने सुना तेरे दर जो आता मांगी मुरादें तुझसे वो  पाता 
तेरे दर का सवाली मै भी हूँ मुझपे मेहर की नज़रे कर भी दो 

फंसा हुआ हूँ गम के भंवर में गुरु जी आकर पार लगाओ 
तेरे बिन मेरा अब कोई नहीं तुम चिंता मेरी दूर करो 

हर पल बाबा तुमको ध्याऊँ करते हो पर तुम क्यों देरी 
अब सुध लेना मेरी आकर चरणो का अमृत पीने दो 

मेरा दिल बाबा पुकारे तुझे तुम इक पल को ही चले आओ 
तेरे चरणों पे मेरा सिर है तुम मेहर का अपना हाथ रखो


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