छोड़ दर तेरा बाबा जाऊँ मै किसकी गली , अब तो तेरे दर्श बिना लगे न कोई बात भली
ढाये दुनिया ने सितम मुझपे तो गमगीन हुआ
मिला जो तेरा सहारा तो मै तल्लीन हुआ
ताना मारे ये ज़माना कैसे ये रीत चली
कहूँ किससे तेरे बिन पाये जो गम के निशाँ
न मिला कोई तुझसा ढूंढा सारा ये जहाँ
अब तो जग छूटे भला छूटे न तेरी ये गली
सुना है दर पे जो इक बार कोई आता है
और कभी दुखड़ा जो रो रो के तुझे सुनाता है
होवे गम दूर सभी सारी बला जाये टली
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