बाबा तेरे मुखमण्डल से चलती ज्योतिधारा
ये खगवृन्द भी सुबह सवेरे कैसे चहक रहे है
हम अनजान मुसाफिर जैसे रास्ता भटक गए है
अब तो राह दिखाओ बाबा जीवन हो उजियारा
अस्ताचल की रक्तिम किरणे कैसे झूम रही है
ये गंगा की पावनधारा पदतल चूम रही है
जीवन में प्रकाश भरो तुम मिटे मन का अँधियारा
पाप तम सारे मिट जाये ऐसा ज्ञान हमें दो
अपनी ज्ञान की गंगा में निर्मल स्नान करा दो
बह जाये सब तृणवत बाबा कलुष ये मन का सारा
करदो ऐसी कृपा हे बाबा नाम को तेरे ध्याये
तेरी शरण को पाके अपना जीवन सफल बनायें
काटो फंद चौरासी देवो आवागमन निवारा
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