मेरे दिल तू मुझे कहीँ ले चल जहाँ कोई न हो
अपना तो अपना कोई बेगाना भी न हो
इस दुनिया में तो स्वार्थ के रिश्ते हैं
हो स्वार्थ तो बनते सभी फ़रिश्ते हैं
वरना मुँह मोड़ें सभी जैसे अपना न हो
इक तू ही मेरा हमदर्द है साड़ी दुनिया खुदगर्ज़ है
तुझको ही सुनाऊँ दास्तां सुने क्यों ये जहाँ बेदर्द है
सब अपना जी यूँ चुरायें जैसे कोई वास्ता न हो
जो हो दुखिया ठुकराए जहाँ उसे कोई न अपनाये यहाँ
एक तू ही तो अपना है मेरा तुझे छोड़ भला जाऊँ कहाँ
आजा सुनले फरियाद मेरी दुनिया में अफसाना न हो
@मीना गुलियानी
अपना तो अपना कोई बेगाना भी न हो
इस दुनिया में तो स्वार्थ के रिश्ते हैं
हो स्वार्थ तो बनते सभी फ़रिश्ते हैं
वरना मुँह मोड़ें सभी जैसे अपना न हो
इक तू ही मेरा हमदर्द है साड़ी दुनिया खुदगर्ज़ है
तुझको ही सुनाऊँ दास्तां सुने क्यों ये जहाँ बेदर्द है
सब अपना जी यूँ चुरायें जैसे कोई वास्ता न हो
जो हो दुखिया ठुकराए जहाँ उसे कोई न अपनाये यहाँ
एक तू ही तो अपना है मेरा तुझे छोड़ भला जाऊँ कहाँ
आजा सुनले फरियाद मेरी दुनिया में अफसाना न हो
@मीना गुलियानी
इस दुनिया में तो स्वार्थ के रिश्ते हैं 100% right
जवाब देंहटाएं