तुम बिन मोसो रह्यो न जाए
विरह की अग्नि बहुत जलाए
तुम बिन धीरज कौन बंधाये
प्यासी अखियां नीर बहाती
तुम बिन व्याकुल कल न पाती
बरखा बैरन मोहे न सुहाए
कब लोगे आके सुध मेरी
प्रीतम काहे इतनी देरी
मन पंछी काहे अकुलाये
@ मीना गुलियानी
विरह की अग्नि बहुत जलाए
तुम बिन धीरज कौन बंधाये
प्यासी अखियां नीर बहाती
तुम बिन व्याकुल कल न पाती
बरखा बैरन मोहे न सुहाए
कब लोगे आके सुध मेरी
प्रीतम काहे इतनी देरी
मन पंछी काहे अकुलाये
@ मीना गुलियानी
प्रीतम , विरह - विरह आस लगाए
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
कब लोगे आके सुध मेरी
जवाब देंहटाएंप्रीतम काहे इतनी देरी
मन पंछी काहे अकुलाये.............unbelievable