यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

मेरा लुट गया खज़ाना

मेरी हसरतों की दुनिया तू न आंसू अब बहाना
जो था ख्वाब कभी तेरा तू उसको भूल जाना

जो बहार आज आई संग है खिज़ा भी लाई
हर फूल कह रहा है मैं तो भूला मुस्कुराना

दिल बेकरार था जो तेरे प्यार में हमेशा
वो टूटा हुआ पड़ा है गायेगा कैसे गाना

न तो साज़ में ही सुर है न ही ताल में वो लय है
घुंघरू की थमी छमछम कोई गाये न तराना

मिला साथ जब तुम्हारा हम जहाँ को भूल बैठे
अब साथ जब जहाँ है मेरा लुट गया खज़ाना
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें