मैं अपने मन की किताब का एक पन्ना पलटता हूँ
देखता हूँ एक नया फूल उग आया है
जैसे कि वसन्त आ गया है मुझमे
रंग बिरंगे सपने बुनने लगा है मन
बारिश की बूँद भी फूल पर पड़ती है
मन उपवन की दूब पर ओस पड़ती है
खुशबु गुनगुनाती है जाने क्या गाती है
कुछ तन्हाई के नगमे कुछ मिलन के गीत
तन्हा रातो में अकेलेपन की यादें
आँसुओं में पिघलती हैं मेरा मन तलाशता है
एक आसमान को उसे सहेजने के लिए
मेरी अँगुलियाँ धीरे धीरे सागर की रेत पर
तुम्हारा चित्र उकेरती हैं जिन्हें लहरें मिटा देती हैं
मैं भय से भर जाता हूँ सोचता हूँ
क्या हमारा अस्तित्व भी ऐसे ही मिट जाएगा
क्या हम भी इन्हीं लहरों में विलीन हो जाएंगे
सपने तो सपने ही हैं मन की परछाईयाँ
कभी भय बनकर कभी सत्य बनकर
सामने आती हैं नदी,पत्थर और डालियाँ
सभी अपने अपने रंग ढूँढती हैं
एक लय में एक धुन धड़कती है
एक तूफ़ान की खामोशी सी
तुम्हारे होंठो पर आकर ठहर जाती है
अनगिनत रंगों का गुबार बरसता है
चेतना की सतह पर लगातार
शाम की उदास हवा में तुम्हारे गीत
दम तोड़ते हैं एक के बाद एक खामोशी में
@मीना गुलियानी
देखता हूँ एक नया फूल उग आया है
जैसे कि वसन्त आ गया है मुझमे
रंग बिरंगे सपने बुनने लगा है मन
बारिश की बूँद भी फूल पर पड़ती है
मन उपवन की दूब पर ओस पड़ती है
खुशबु गुनगुनाती है जाने क्या गाती है
कुछ तन्हाई के नगमे कुछ मिलन के गीत
तन्हा रातो में अकेलेपन की यादें
आँसुओं में पिघलती हैं मेरा मन तलाशता है
एक आसमान को उसे सहेजने के लिए
मेरी अँगुलियाँ धीरे धीरे सागर की रेत पर
तुम्हारा चित्र उकेरती हैं जिन्हें लहरें मिटा देती हैं
मैं भय से भर जाता हूँ सोचता हूँ
क्या हमारा अस्तित्व भी ऐसे ही मिट जाएगा
क्या हम भी इन्हीं लहरों में विलीन हो जाएंगे
सपने तो सपने ही हैं मन की परछाईयाँ
कभी भय बनकर कभी सत्य बनकर
सामने आती हैं नदी,पत्थर और डालियाँ
सभी अपने अपने रंग ढूँढती हैं
एक लय में एक धुन धड़कती है
एक तूफ़ान की खामोशी सी
तुम्हारे होंठो पर आकर ठहर जाती है
अनगिनत रंगों का गुबार बरसता है
चेतना की सतह पर लगातार
शाम की उदास हवा में तुम्हारे गीत
दम तोड़ते हैं एक के बाद एक खामोशी में
@मीना गुलियानी
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