तेरी सदा मुझको आने लगी है
मैं दूर नही हूँ न तुझसे जुदा हूँ
फिर क्यों कमी तेरी सताने लगी है
मैं गैर नही हूँ तेरा हमसफ़र हूँ
तू हर शय में जैसे समाने लगी है
न कर तू कभी अब जुदाई का दावा
तेरी हर अदा मुझको भाने लगी है
न दूर जाना कभी पास आके
मेरी जां में तू अब समाने लगी है
एहसां तेरा मैं अब मानता हूँ
मुझमे तू जादू जगाने लगी है
@मीना गुलियानी
मैं दूर नही हूँ न तुझसे जुदा हूँ
फिर क्यों कमी तेरी सताने लगी है
मैं गैर नही हूँ तेरा हमसफ़र हूँ
तू हर शय में जैसे समाने लगी है
न कर तू कभी अब जुदाई का दावा
तेरी हर अदा मुझको भाने लगी है
न दूर जाना कभी पास आके
मेरी जां में तू अब समाने लगी है
एहसां तेरा मैं अब मानता हूँ
मुझमे तू जादू जगाने लगी है
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