यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 14 सितंबर 2016

जादू जगाने लगी है

तेरी सदा मुझको आने लगी है

मैं दूर नही हूँ न तुझसे जुदा हूँ

फिर क्यों कमी तेरी सताने लगी है

मैं गैर नही हूँ तेरा हमसफ़र हूँ

तू हर शय  में जैसे समाने लगी है

न कर तू कभी अब जुदाई का दावा

तेरी हर अदा मुझको भाने लगी है

न दूर जाना कभी पास आके

मेरी जां में तू अब समाने लगी है

एहसां तेरा मैं अब मानता हूँ

मुझमे तू जादू जगाने लगी है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें