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गुरुवार, 8 सितंबर 2016

जब नैनो से हो छमछम

ये शाम की तन्हाईयां और बढ़ता जाए गम
आई हवा महकी फ़िज़ा पर साथ न आये तुम

तुम आओगे कब यह कहो ऐसे ही चुप से न रहो
आओगे पर तुम कब यहॉ से गुज़रे हर मौसम

दिल की कली खामोश है चुपचाप सी मदहोश है
हालत है दिल की ऐसी जैसे हो कोई बिरहन

तेरी याद ही दिल में यूँ बसी होठों पे आई न हँसी
सावन क्या बरसाए घटा जब नैनो से हो छमछम
@मीना गुलियानी 

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