इन हवाओं में इन फिज़ाओं में
पर्वत की इन श्रृंखलाओं में
बादलो की घटाओं में
पेड़ों की घनी छाँव में
अमराइयों के गाँव में
मैने तुझे महसूस किया है
दिल की उमंगो के जोश में
खो गए उस होश में
मदहोशी के आलम में
भीगे भीगे सावन में
इन बरसती घटाओं में
मैंने तुझे महसूस किया है
गुलशन है कुछ निखरा निखरा
पर गुंचा कुछ बिखरा बिखरा
दिल तो है आबाद यूं मेरा
जैसे अभी हुआ है सवेरा
इन चहकती हवाओँ में
मैंने तुझे महसूस किया है
लट है चेहरे पे लहराई
लगा कली जैसे मुस्काई
कोंपल फूटी कलियां चटकी
बादल से फिर बूंदे टपकी
मन की इन अंगड़ाइयों में
मैंने तुझे महसूस किया है
@मीना गुलियानी
पर्वत की इन श्रृंखलाओं में
बादलो की घटाओं में
पेड़ों की घनी छाँव में
अमराइयों के गाँव में
मैने तुझे महसूस किया है
दिल की उमंगो के जोश में
खो गए उस होश में
मदहोशी के आलम में
भीगे भीगे सावन में
इन बरसती घटाओं में
मैंने तुझे महसूस किया है
गुलशन है कुछ निखरा निखरा
पर गुंचा कुछ बिखरा बिखरा
दिल तो है आबाद यूं मेरा
जैसे अभी हुआ है सवेरा
इन चहकती हवाओँ में
मैंने तुझे महसूस किया है
लट है चेहरे पे लहराई
लगा कली जैसे मुस्काई
कोंपल फूटी कलियां चटकी
बादल से फिर बूंदे टपकी
मन की इन अंगड़ाइयों में
मैंने तुझे महसूस किया है
@मीना गुलियानी
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